एयरपोर्ट के प्रोजेक्ट में डिफेंस और नगरनार प्लांट बने रोड़ा
जगदलपुर। बस्तर जिला प्रसाशन ने 10 महीने पहले बकावंड ब्लॉक के उलनार में जिस जगह को शहर के नए एयरपोर्ट के लिए तय किया गया था, अब वहां के लिए काम आगे नहीं बढ़ पाएगा। दरअसल जिला प्रसाशन के सामने डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन) की आपत्ति आ गई है। उलनार के करीब ही गिरोला है और गिरोला में डीआरडीओ का एक बड़ा रिसर्च सेंटर सालों से संचालित हो रहा है। डीआरडीओ ने एयरपोर्ट के प्रोजेक्ट पर आपत्ति करते हुए कहा है कि रक्षा क्षेत्र में उड़ान प्रतिबंधित है। एयरपोर्ट का निर्माण अगर होता है तो भविष्य में कई तरह की समस्या सामने आ सकती हैं। ऐसे में प्रसाशन को अपने प्रोजेक्ट को कहीं और आगे बढ़ाना चाहिए। डीआरडीओ की इस आपत्ति के बाद जिला प्रसाशन ने भी नई जगह की तलाश शुरू कर दी है। उलनार में 250 हेक्टेयर की जगह एयरपोर्ट के लिए फाइनल कर दी गई थी। तत्कालीन कलेक्टर रजत बंसल ने इसके लिए लंबा प्रयास किया था। इस बीच यह जानकारी भी एयरपोर्ट सूत्रों से मिली है कि उलनार में एयरपोर्ट बनने पर नगरनार स्टील प्लांट भी एक बड़ी बाधा बन रहा था। फ्लाइंग जोन में प्लांट की चिमनियां आ रहीं थीं जिनकी ऊंचाई एयरपोर्ट नियमों के अनुसार नहीं हैं। इस तरह देखें तो इस प्रोजेक्ट में डीआरडीओ और एनएमडीसी प्लांट बड़ा रोड़ा बन चुके हैं। उलनार में एयरपोर्ट बनने की संभावना लगभग खत्म हो चुकी है। अब जिला प्रसाशन और जगदलपुर एयरपोर्ट प्रबंधन नई जगह की तलाश में जुट गया है। बताया जा रहा है कि नियानार के अलावा दो से तीन और जगहों को फाइनल कर उनका सर्वे करवाया जाएगा। उसके बाद सरकार एक जगह फाइनल कर वहां एयरपोर्ट का निर्माण करवाएगी।
उलनार से पहले नियानार की जगह हो चुकी है फाइनल
प्रसाशन का प्रयास है कि शहर के एयरपोर्ट को शहर से 15 से 20 किमी के दायरे में रखा जाए। इसके अलावा प्रसाशन का यह भी प्रयास कर रहा है कि ऐसी जगह तय हो जिसके लिए ज्यादा जमीन अधिग्रहित ना करनी पड़े। सरकारी जमीन जहां ज्यादा होगी वहीं प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जाएगा। मालूम हो कि बस्तर के पूर्व कलेक्टर अमित कटारिया ने सबसे पहले नियानार में नए एयरपोर्ट के लिए जमीन तय कर उसका प्रस्ताव तत्कालीन बीजेपी सरकार को भेजा था, लेकिन उस वक्त बस्तर से कोई नियमित उड़ान संचालित नहीं हो रही थी और बस्तर में विमान सेवा का कोई भविष्य भी नहीं दिख रहा था तो मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब जबकि नए एयरपोर्ट की जमीन सरकार की प्राथमिकता में है तो नियानार की फाइल फिर से खोली गई है। बताया जा रहा है कि प्रसाशन नियानार की जमीन को भी सर्वे में शामिल कर सकता है। इसके अलावा रान सरगीपाल में भी एयरपोर्ट के लिए पर्याप्त जमीन होने की बात सामने आ रही है।
मौजूदा एयरपोर्ट बोइंग विमानों के अनुकूल नहीं
सरकार नए एयरपोर्ट को वृहद रूप देने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि मौजूदा एयरपोर्ट बोइंग विमानों की लैंडिंग के अनुकूल नहीं है। इसके अलावा यहां अन्य आधुनिक सुविधाएं भी नहीं हैं। एयरपोर्ट का विस्तार संभव है लेकिन एयरपोर्ट से लगी डीआरडीओ की कॉलोनी यहां भी एक बड़ी बाधा है। पहले कई बार जिला प्रसाशन ने डीआरडीओ से जमीन खाली करने का अनुरोध किया है लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद ही नए सिरे से जमीन तलाशने की कवायद शुरू हुई। अगर डीआरडीओ जमीन खाली कर देता तो शहर के भीतर ही सर्व सुविधायुक्त एयरपोर्ट का निर्माण हो सकता था।
नए एयरपोर्ट के बनने से ही 3सी लाइसेंस संभव
एयरपोर्ट सूत्रों के अनुसार जगदलपुर एयरपोर्ट फिलहाल 2सी लाइसेंस के साथ संचालित हो रहा है। इस लाइसेंस में यहां एटीआर और प्राइवेट जेट श्रेणी के विमानों की लैंडिंग ही हो सकती है। डीजीसीए के मानक कहते हैं कि बड़े विमानों की लैंडिंग के लिए 3सी लाइसेंस होना जरूरी है। नया एयरपोर्ट बनने से 3सी लाइसेंस आसानी से मिल जाएगा और इसके बाद यहां से लंबी दूरी की बड़ी फ्लाइट संचालित हो पाएंगी।