
काजू बना बस्तर का ब्रांड, नक्सली प्रभावित गढ़ की बदल रही पहचान, ग्रामीणों की चमक रही किस्मत
CG Jagdalpur News : नक्सल प्रभावित बस्तर में 50 साल पहले काजू का आगमन हुआ था। इन पांच दशक में काजू अब बस्तर का ब्रांड उद्यानिकी फसल बन गया है। वर्तमान में दस हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर इसके पौधे लहलहा रहे हैं। (cg news hindi) इन पौधों से हर साल 35 मीट्रिक टन से अधिक काजू नट का उत्पादन हो रहा है। बस्तर में इदिरा व वेंगुरला किस्म के काजू के नट अपनी बड़ी साइज की वजह से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक्सपोर्ट किए जा रहे हैं। (chhattisgarh news) काजू को बस्तर का ब्रांड बनाने के लिए राज्य सरकार के शबरी व केंद्रीय स्तर के ट्राइफेड के ट्राइव आउटलेट ने मुख्य भूमिका निभाई है।
जिला पंचायत, उद्यानिकी विभाग, उद्यानिकी कालेज के संयुक्त प्रयास का नतीजा यह है कि काजू उत्पादन ने बस्तर की तस्वीर व तकदीर बदलने काफी है। (jagdalpur news in hindi) बास्तानार, तोकापाल, बकावंड, दरभा, जगदलपुर के वनक्षेत्र, मरहान इलाके में काजू के पौधे आसानी से लहलहाते देखे जा सकते हैं। दो दशक पहले ही इसके नट का संग्रहण व्यवसाय के तौर पर शुरू हुआ था। तब सीमावर्ती ओडिशा में इसका प्रसंस्करण किया जाता था। (jagdalpur news in hindi) जिला प्रशासन को इसकी खबर मिली तो उन्होने ग्रामीण महिला समूह को काजू संग्रहण व प्रसंस्करण से जोड़ा। इसके सुखद परिणाम सामने आए। इससे बस्तर के काजू का यहीं वैल्यू एडिशन होने लगा। अब यह कारोबार सौ करोड़ रुपए सालाना से ऊपर पहुंच गया है।
छोटे पैमाने पर लगे हैं प्रोसेसिंग यूनिट
काजू के बेहतर उत्पादन को देखते हुए जिला उद्योग केंद्र की मदद से बकावंड ब्लाक में तुरेनार, राजनगर सहित अन्य ग्रामीण इलाकों में लघु आकार के प्रोसेसिंग यूनिट लगाए गए हैं। यहां साल भर प्रोसेसिंग व पैकेजिंग किया जा रहा है। (cg news today) साधारण सी मशीनरी से विभिन्न आकार के नट का उत्पादन किया जा रहा है। काजू के इन नट को लोग हाथों- हाथ खरीद रहे हैं। इसके अलावा राज्य शासन के शबरी मार्ट, संजीवनी मार्ट व ट्राइफेड के ट्राइव आउटलेट में बस्तर का काजू बिक रहा है। ट्राइफेड इसे बस्तर ब्रांड के नाम से विदेशों में निर्यात कर रहा है। (cg hindi news) आर्गेनिक होने की वजह से इसकी काफी डिमांड है।
बाय प्रोडक्ट का भी है बड़ा बाजार
जानकारों ने बताया कि काजू के संग्रहण व प्रोसेसिंग का कारोबार दस गुना मुनाफा दे रहा है। इसके साथ ही साथ काजू के बाद बचे छीलन से तेल, कतरन से पालिश व अन्य बचे मटेरियल के बाय प्रोडक्ट का एक बड़ा बाजार है। (cg bastar news) साफ जाहिर है कि आने वाले दिनों मे काजू बस्तर का ब्रांड बन जाएगा। करमरी की समूह संचालिका रुकमणी ने बताया कि बीते साल 13 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव से काजू नट खरीदा था, प्रोसेसिंग के बाद आठ सौ रूपए प्रति किलो की दर से ग्राहकों को काजू बेच रहे हैं। बस्तर में काजू के संग्रहण, उत्पादन, पैकेजिंग व मार्केटिंग का सारा जिम्मा महिलाओं ने संभाल रखा है। इससे उन्हें अच्छी खासी आमदनी हो रही है। उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधर रही है।
10000 हेक्टेयर में
- 10000 हेक्टेयर में हुआ है काजू का प्लांटेशन
- 9000 मेट्रिक टन काजू नट का हो रहा है उत्पादन
- 600 से एक हजार रू प्रति किलो की दर से हो रही बिक्री
- 100 करोड़ के बाय प्रोडक्ट सीएनएसएल की संभावना
| ब्लॉक रकबा | काजू का हेक्टेयर | उत्पादन मीट्रिक टन |
| बस्तर | 1381 | 1091 |
| बकावंड | 1848 | 1491 |
| जगदलपुर | 1382 | 1096 |
| तोकापाल | 1841 | 1477 |
| दरभा | 1527 | 1237 |
| लोहांडीगुड़ा | 933 | 736 |
| बास्तानार | 379 | 9385 |
काजू से हो सकती है बेहतर आमदनी
बस्तर की आबोहवा काजू के लिए मुफीद है। कृषि कालेज अच्छी गुणवत्ता के लिए वेंगुरला व इंदिरा वेरायटी के पौधे लगाने जरुरी जानकारियां उपलब्ध करा रहा है। इसकी प्रोसेसिंग यहीं होने से अच्छी खासी आमदनी हो सकती है।
- डा. विकास रामटेके, कृषि वैज्ञानिक, उद्यानिकी कालेज
Published on:
20 Jun 2023 07:08 pm
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