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20 हजार करोड़ की लागत से इंद्रावती नदी में बनेगा छग का सबसे बड़ा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, सर्वे करने टीम आज पहुंचेगी बस्तर

42 करोड़ रुपए सिर्फ सर्वे और डीपीआर तैयार करने में खर्च होंगे, पहले चरण में प्रोजेक्ट का एरियल सर्वे किया जाएगा, छत्तीसगढ़ सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र ने भी दी सैद्धान्तिक मंजूरी

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20 हजार करोड़ की लागत से इंद्रावती नदी में बनेगा छग का सबसे बड़ा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, सर्वे करने टीम आज पहुंचेगी बस्तर

20 हजार करोड़ की लागत से इंद्रावती नदी में बनेगा छग का सबसे बड़ा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, सर्वे करने टीम आज पहुंचेगी बस्तर

जगदलपुर। इंद्रावती नदी पर बारसूर के नजदीक प्रस्तावित छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े बोधघाट हाइड्रो-पावर प्रोजेक्ट को राज्य और केंद्र की सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद अब सीडब्ल्यूसी यानी केंद्रीय जल आयोग ने भी हरी झंडी दे दी है। इसके बाद पहली बार प्रोजेक्ट का सर्वे करने वाली एजेंसी वेपकोस और महानदी परियोजना के मुख्य अभियंता आरके नागरिया की टीम रविवार को बस्तर पहुंच रही है। पहले चरण में एरियल सर्वे प्रस्तावित है। सरकार ने इस परियोजना के डीपीआर बनाने की जिम्मेदारी वेपकोस को सौंपी है इसके बाद ही इस प्रोजेक्ट की सही तस्वीर सामने आएगी। तभी तय हो पाएगा कि वर्तमान परिस्थितियों में यह परियोजना कौन सा आकर लेगी। गौरतलब है कि बोधघाट परियोजना दक्षिण बस्तर ही नही बल्कि छग की महत्वपूर्ण परियोजना है क्षेत्रवासी पिछले चार दशकों से इसकी बाट जोह रहे हैं यदि यह परियोजना पहले परवान चढ़ी होती तो शायद आज बस्तर की तस्वीर बदली हुई दिखाई देती। पर्यावरण की आपत्तियों के कारण 1980 के दशक में इस परियोजना को बंद करवा दिया गया था अब राज्य की भूपेश बघेल सरकार ने इस परियोजना को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया है ।

माओवादियों ने विरोध शुरू किया
चार दशकों से लंबित बोधघाट परियोजना के प्रारंभ होने की सुगबुगाहट देख माओवादियों ने भी विरोध के सुर अलापना शुरू कर दिया है माओवादियों की पूर्वी बस्तर डिविजनल कमेटी ने कहा है कि इस परियोजना से कई गांव डूब जाएंगे लाखों पेड़ और वन संपदा नष्ट हो जाएगी हज़ारों आदिवासियों को विस्थापित होना पड़ेगा इसलिये इस परियोजना को प्रारंभ नही करना चाहिए।

चार विद्युत गृहों से 500 मेगावाट का उत्पादन होगा
रियोजना में 125-125 मेगावाट के चार जल विद्धुत गृहों का निर्माण किया जाना है। बोधघाट परियोजना इंद्रावती नदी में स्थापित होनी है इसके लिए बारसूर से 8 किमी दूर सातधार के नजदीक नदी में लगभग 500 मीटर लम्ंबा पुल बनाया गया है जो कि उस पार दक्षिण बस्तर को अबूझमाड़ से जोड़ता है इसके नजदीक ही इंद्रावती नदी पर डेम बनाने कांक्रीट की एक दीवार खड़ी की गई है जो कि अधूरी बनी है इसके अलावा बारसूर से सातधार तक डबल लाइन सडक़ए सौ से अधिक मकान, टनल और गेस्ट हाउस जैसे कई निर्माण पूर्ण हो चुके थे जो कि अब खंडहर में तब्दील हो चुके हैं बंद होने के पूर्व तक इस परियोजना में 100 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की जा चुकी थी ।

विश्वबैंक ने 300 मिलियन डॉलर का कर्ज दिया था
1979 में बोधघाट परियोजना की तत्कालीन लागत 475 करोड़ थी जो कि अब कई गुना बढ़ गई है इसके लिए विश्व बैंक ने 300 मिलियन डॉलर का कर्ज भारत को दिया था अब परिस्थितियां बदल गई हैं इंद्रावती का जल स्तर भी घट गया है सरकार ने केंद्रीय एजेंसी वेपकोस को डीपीआर और इसके सर्वे का काम दिया है विभागीय सूत्रों के मुताबिक वर्तमान दौर में कंपनी ने बोधघाट परियोजना की लागत लगभग 22 हज़ार करोड़ के आसपास आने का अनुमान लगाया है।

विस्थापन बनेगी बड़ी चनौती
विभाग द्वारा किए गए आंकलन के मुताबिक यदि डेम की ऊंचाई 90 मीटर रखी जाती है तो बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर और बस्तर जिलो के 34 ग्राम डूबान क्षेत्र में आ सकते हैं इनसे लगभग 9 हजार परिवार पर विस्थापन का खतरा है सूत्रों के मुताबिक अब बदली हुई परिस्थितियों में डूबान नुकसान कम करने की नियत बांध की ऊंचाई 85 एवं 80 मीटर होने की स्थिति में भी आकलन किया गया है 80 के दशक में स्थानीय आदिवासियों की मांग पर तत्कालीन पर्यावरण सचिव टी एन शेषन की रिपोर्ट पर भारत शासन ने इस परियोजना पर रोक लगा दी थी

15 हज़ार हेक्टेयर भूमि जलमग्न होगी
बोधघाट परियोजना की पुरानी रिपोर्ट के आधार पर जहां 15 हज़ार हेक्टेयर भूमि के डुबान में आने की संभावना है उसमें से लगभग 5676 हेक्टेयर वन भूमि भी शामिल है वर्तमान में यह रकबा बढ़ सकता है परियोजना के लिए बारसूरएसात धार सहित आसपास के आधा दर्जन गावो की लगभग एक हज़ार हेक्टेयर से अधिक भूमि का चार दशक पूर्व अधिग्रहण किया जा चुका है बाद में ग्रामीणों के विरोध के चलने अधिग्रहण की प्रक्रिया रोकनी पड़ी थीण् इस परियोजना से क्षेत्र की 2 लाख 66 हज़ार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की सुविधा मिल पाएगी