
यहां रसोइयों ने संभाली बच्चों के भविष्य की जिम्मेदारी, शिक्षक बनकर सिखा रहे हैं A B C D...
जगदलपुर . छत्तीसगढ़ के बस्तर में स्कूली शिक्षा में कमी साफ तौर पर देखी जा सकती है। बस्तर के सुदूर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बच्चों की शिक्षा को लेकर शासन-प्रशासन कितना गंभीर है, इसका हकीकत बास्तानार ब्लाक में 11 शिक्षक विहीन स्कूल ही बयां करने को काफी हैं। इन स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों की शिक्षा का गुणवत्ता स्तर धरातल पर है, जिसकी किसी को परवाह नहीं है। हालत ये है कि अब रसोइया बच्चों को पढ़ा रहे है।
बास्तानार ब्लाक अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत बड़ेबोदेनार, कापानार, बुरगुम, बड़ेकाकलूर और बास्तानार में छह प्राथमिक स्कूल और पांच माध्यमिक स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। यहां छात्र-छात्राएं पढऩे तो जाते हैं, लेकिन हाजिरी लगाकर ही वापस जाते हैं। इन स्कूलों में कुल 178 छात्र-छात्राएं हैं। जिनके लिए एक भी शिक्षक की व्यवस्था शिक्षा विभाग की ओर से नहीं की गई है। शिक्षकों के नहीं होने की वजह से यहां कभी कोई शिक्षित ग्रामीण तो कभीं रसोईया विद्यार्थियों को पढ़ाता है।
यह स्कूल चालानपारा, गायतापारा ईरपा, करकापारा, तितरी, जंगलपारा तितरी, कोलेंगपारा, बुरगुम, सांवगेल, पटेलपारा, बड़ेकाकलूर और बास्तानार में केवल कागजों में संचालित किए जा रहे हैं। यहां पढऩे वाले बच्चों को हाल देखने फुरसत शिक्षा विभाग के अधिकारी और न ही शिक्षा मंत्री को है। माओवाद प्रभावित पिछड़े वर्ग के गरीब बच्चों को लेकर बेहतर शिक्षा करने वाले सरकार के दावे यहां खोखले साबित हो रहे हैं।
इन स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि हमारे बच्चों के साथ शिक्षा के क्षेत्र में खिलवाड़ किया जा रहा है। जिसका जिम्मेदार शासन-प्रशासन है। जब शिक्षक ही नहीं, तो शिक्षा में गुणवत्ता कहां से आएगी। अभिभावकों का कहना है कि अगर शिक्षक की व्यवस्था नहीं होती है, तो बास्तानार ब्लाक के ग्रामवासी मजबूर होकर जाम की चेतावनी जिला प्रशासन को दी है।
बास्तानार के जिला पंचायत सदस्य बोमड़ाराम मंडावी ने बताया कि शिक्षक विहीन शालाओं में शिक्षक की व्यवस्था को लेकर कई बार जिला पंचायत सामान्य सभा में मांग की जा रही है। शिक्षा विभाग और जनदर्शन में भी पत्राचार किया गया। किन्तु आज भी स्कूलों में शिक्षक की व्यवस्था नहीं की गई है।
Published on:
06 Oct 2018 05:23 pm
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