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CG Education: स्कूल में बच्चे क्या पढ़ रहे हैं, शिक्षक क्या पढ़ा रहे हैं, एक क्लिक में चलेगा पता… जानिए कैसे

CG Education News: केंद्र सरकार ने विद्या समीक्षा योजना शुरू की है। इसके तहत ही अब स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों के कामकाज की ऑनलाइन मॉनिटरिंग होगी।

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chhattisgarh education

Bastar Education: बस्तर में सरकारी स्कूलों का बुरा हाल है। अंदरूनी इलाकों के स्कूलों में तो बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे है। ऐसे इलाकों में शिक्षक सिर्फ वेतन लेने के लिए स्कूल जाते हैं। महीने के बाकी दिन उनके दर्शन मुश्किल होते हैं। ऐसी स्थिति को रोकने के लिए अब बस्तर समेत समूचे प्रदेश में बच्चों और शिक्षकों की मॉनिटरिंग का एक सिस्टम लागू होने वाला है। केंद्र सरकार ने विद्या समीक्षा योजना शुरू की है। इसके तहत ही अब स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों के कामकाज की ऑनलाइन मॉनिटरिंग होगी।

यह भी पढ़ें: New Education Policy 2024: अब स्पेशल कोर्स के साथ होगी पढ़ाई, उच्च शिक्षा विभाग ने जारी की सूची

सरकारी स्कूलों की शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए शासन बड़ी पहल करने वाला है। इसके लिए एक ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार किया जा रहा है। जिससे प्रत्येक स्कूलों के हर शिक्षक और बच्चे पर नजर रख सके। किस दिन, किस स्कूल में क्या पढ़ाई कराई गई, कितने बच्चे स्कूल आए थे, कितनों के लिए मध्याह्न भोजन बना था और कितने बच्चों ने मध्याह्न भोजन खाया। इस तरह स्कूल की हर गतिविधि की पूरी जानकारी ऑनलाइन होगी। विद्या समीक्षा योजना फिलहाल गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और झारखंड में शुरू हो चुकी है।

अब इसे छत्तीसगढ़ में भी लागू करने की तैयारी है। राजधानी रायपुर में विद्या समीक्षा केंद्र बनाया जा रहा है, जहां आईआईटी के एक्सपर्ट ऐसी तकनीक तैयार कर रहे हैं, जिससे पूरे प्रदेश के स्कूलों की मॉनिटरिंग की जा सके। इसके अलावा योजना के तहत सभी स्कूली बच्चों का परमानेंट एजुकेशन नंबर बनेगा। हरेक छात्र की एजुकेशन हिस्ट्री तैयार की जाएगी। इससे बच्चों की पढ़ाई और अन्य गतिविधियों में उनकी सक्रिय भागीदारी का स्तर पता चलेगा।

स्कूल की हर बड़ी से छोटी जानकारी फीड होगी

आईटी एक्सपर्ट एक ऐसा हाइटेक सॉफ्टवेयर बना रहा है, जिसमें स्कूल की सभी तरह की जानकारी फीड होगी। वहां की व्यवस्था का आंकलन इसी से होगा। साफ्टवेयर में कलर कोडिंग के जरिए खतरे व चिंताजनक स्थिति वाले स्कूलों को हाईलाइट करके दिखाया जाएगा। जैसे किस क्षेत्र के बच्चे पढ़ाई छोड़ रहे, कहां शिक्षकों की कमी है, आदि। सभी आंकड़ों को चार्ट और ग्राफ के माध्यम दर्शाया जाएगा।

तबादला और अटैचमेंट नहीं करवा पाएंगे

शिक्षा विभाग में सबसे बड़ा खेल तबादले और अटैचमेंट का चलता है। पहचान, पहुंच वाले लोग घर के नजदीक स्कूलों में ड्यूटी लगवा लेते हैं। कई शिक्षा
विभाग में अटैच होकर काम कर र रहे हैं। ऑनलाइन सिस्टम से इस पर भी रोक लग सकेगी। शिक्षकों के एचआर से संबंधित पूरी जानकारी ऑनलाइन होगी। कोई भी शिक्षक मर्जी से अटैचमेंट व तबादला नहीं करवा पाएगा। स्कूल नहीं जाने वाले भी पकड़े जाएंगे।

स्कूली बच्चों का बनेगा परमानेंट एजुकेशन नंबर

आधार नंबर की तरह प्रदेश के सभी शासकीय स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों का परमानेंट एजुकेशन नंबर (पीईएन) बनाया जाएगा। इसके आधार पर सभी बच्चों की एजुकेशन हिस्ट्री तैयार होगी। प्रदेश कितने बच्चों ने स्कूलों में प्रवेश लिया, कितनों ने नहीं लिया। कितने बच्चे 5 वीं, 8 वीं या 10वीं-12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ रहे हैं। ऐसा किस स्कूल व शहर-गांव में ज्यादा हो रहा है। यह भी पता चल जाएगा, ताकि सरकार इसकी जांच कर कार्यवाही कर सके और व्यवस्था सुधार सके।

स्कूल की हर बड़ी से छोटी जानकारी फीड होगी

आईटी एक्सपर्ट एक ऐसा हाइटेक सॉफ्टवेयर बना रहा है, जिसमें स्कूल की सभी तरह की जानकारी फीड होगी। वहां की व्यवस्था का आंकलन इसी से होगा। साफ्टवेयर में कलर कोडिंग के जरिए खतरे व चिंताजनक स्थिति वाले स्कूलों को हाईलाइट करके दिखाया जाएगा। जैसे किस क्षेत्र के बच्चे पढ़ाई छोड़ रहे, कहां शिक्षकों की कमी है, आदि। सभी आंकड़ों को चार्ट और ग्राफ के माध्यम दर्शाया जाएगा।

तबादला और अटैचमेंट नहीं करवा पाएंगे

शिक्षा विभाग में सबसे बड़ा खेल तबादले और अटैचमेंट का चलता है। पहचान, पहुंच वाले लोग घर के नजदीक स्कूलों में ड्यूटी लगवा लेते हैं। कई शिक्षा विभाग में अटैच होकर काम कर र रहे हैं। ऑनलाइन सिस्टम से इस पर भी रोक लग सकेगी। शिक्षकों के एचआर से संबंधित पूरी जानकारी ऑनलाइन होगी। कोई भी शिक्षक मर्जी से अटैचमेंट व तबादला नहीं करवा पाएगा। स्कूल नहीं जाने वाले भी पकड़े जाएंगे।

स्कूली बच्चों का बनेगा परमानेंट एजुकेशन नंबर

आधार नंबर की तरह प्रदेश के सभी शासकीय स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों का परमानेंट एजुकेशन नंबर (पीईएन) बनाया जाएगा। इसके आधार पर सभी बच्चों की एजुकेशन हिस्ट्री तैयार होगी। प्रदेश कितने बच्चों ने स्कूलों में प्रवेश लिया, कितनों ने नहीं लिया। कितने बच्चे 5 वीं, 8 वीं या 10वीं-12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ रहे हैं। ऐसा किस स्कूल व शहर-गांव में ज्यादा हो रहा है। यह भी पता चल जाएगा, ताकि सरकार इसकी जांच कर कार्यवाही कर सके और व्यवस्था सुधार सके।