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कटेकल्याण व बारसूर में सीएम ने लगाई चौपाल

तपती दोपहरी में जनसंपर्क: तो कलेक्टर को चुनाव लड़वा देते हैं, मुख्यमंत्री भूपेश ने ली चुटकी, दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण में इमली की छांव में बैठकर चौपाल लगाई, माइक पकड़कर न सिर्फ लोगों से रू-ब-रू होना शुरू किया, बल्कि पूरे समय मंच संचालन भी खुद ही किया

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इमली की छांव में बैठकर चौपाल लगाते मुख्यमंत्री

इमली की छांव में बैठकर चौपाल लगाते मुख्यमंत्री

दन्तेवाड़ा . तपती दोपहरी में जनसंपर्क के लिए दंतेवाड़ा जिले के आखिरी छोर पर पहुंचे मुख्यमंत्री ने दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण में इमली की छांव में बैठकर चौपाल लगाई। आते ही उन्होंने माइक पकड़कर न सिर्फ लोगों से रू-ब-रू होना शुरू किया, बल्कि पूरे समय मंच संचालन भी खुद ही किया। मुख्यमंत्री भूपेश ने माइक पकड़ते ही मां दंतेश्वरी का जयकारा लगवाया और कहा कि बहुत साल पहले स्व. कर्मा जी के साथ आए थे। उन्होंने आम जन से सवाल किया कि क्या पहली बार कोई सीएम कटेकल्याण आए हैं, इस पर जवाब मिला कि वर्ष 2003 में जोगी आए थे। इस पर मुख्यमंत्री बघेल ने कहा 2003 के बाद अब सीधे 2022 में सीएम आए हैं।

उन्होंने जनता से फीडबैक लेने के अंदाज में पूछा कि क्या मंत्री कवासी लखमा, सांसद दीपक बैज भी पहली बार आए हैं? विधायक देवती कर्मा आती हैं कि नहीं? इस पर आम जन ने बताया कि विधायक आती हैं। मुख्यमंत्री ने पूछा- डीजी अशोक जुनेजा, सचिव किरण कौशल, कमिश्नर को जानते हैं? इस पर जनता में चुप्पी छा गई। कलेक्टर दीपक सोनी को जानते हैं, इस पर तालियों की गड़गड़ाहट हुई, तो मुख्यमंत्री ने चुटकी लेते कहा कि तो फिर कलेक्टर को ही अगला चुनाव लड़वाते हैं। तभी प्रभारी मंत्री कवासी लखमा ने तपाक से कहा- यहां सीट नहीं है। इस पर सीएम ने फिर चुटकी ली- फिर तो देवती भाभी की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है।

आबकारी मंत्री लखमा ने बटोरी तालियां : कवासी लखमा ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कहा कि भूपेश बघेल इतनी गर्मी में एसी कमरे में बैठने की बजाय इमली की छांव में बैठे हैं। यहां परिजनों से मुलाकात करने आए हैं। बटन दबाते ही पैसे खाते में आ रहे हैं। डॉ रमन के कार्यकाल में लोग छिप छिपकर रहते थे। यहां का निवासी सुखराम नक्सली और पुलिस दोनों तरफ से पिटता था। अब कांग्रेस सरकार आने के बाद सुरक्षित है। अब जिले में 300 लोगों की पुलिस भर्ती होगी। ये नौकरी देने वाली सरकार। पहले गुरुजी को तनख्वाह मिलती थी, अब पुजारी को भी तनख्वाह मिलेगी। अपने कार्यकाल के 15 साल में रमन सिंह व केदार कश्यप ने कटेकल्याण की इस धरती को देखा तक नहीं।

नक्सलगढ़ अब नई पहचान गढ़ रहा : अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि ढेंकी चावल, पूना माड़ाकाल की चीजें बाहर जा रही।

दंतेवाड़ा, बस्तर अब बदल रहा है। योजनाएं जमीन में उतर रही या नहीं, यही पता करने आया हूं। संस्कृति व पहचान का संरक्षण जरूरी है। इसकी शुरुआत देवगुड़ी से हुई है। मैं हर नए काम की शुरुआत दंतेश्वरी माता की पूजा से ही करता हूं। जगदलपुर में बादल अकादमी भी ऐसी ही पहल है।

सभी को सहेजने का काम सरकार कर रही है। मुख्यमंत्री बघेल ने मोखपाल में मंगल भवन, लखारास में एनीकट, उदेला व मड़कामीरास में सड़क, कटेकल्याण में मिनी स्टेडियम, हॉस्पिटल मरम्मत के लिए 1 करोड़, तालाब का सौन्दर्यीकरण की घोषणा करते कहा कि कटेकल्याण में एसबीआई बैंक की एनओसी दे दी है। बीएसएनएल को 4 जी करवाएंगे। जिले में सड़कों का जाल बिछाएंगे।

विकास में कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी।

मुख्यमंत्री से सीधे जनता से संवाद करते हुए सवाल जवाब आगे बढ़ाया। अपने आने का मकसद बताते कहा कि जो योजनाएं हम बनाते हैं, वो आम जनता तक पहुंचती हैं, या नहीं, यही परखने यहां आए हैं। उन्होंने पूछा - राशन कार्ड, चावल मिल रहा है या नहीं? गैस सिलेंडर कितने दिन चलता है? चना, गुड़, मिट्टी तेल कितने में मिलता है? बिजली सबके घर लगी है? बिजली कब आती है? बिजली समस्या है, यह सुनते ही सीएम ने घोषणा की कि यहां पर बिजली सब स्टेशन खोलेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार बनते ही ऋण माफ किया। क्या सभी किसानों के खाते में पैसे आये? इस पर कटेकल्याण निवासी किसान ने कहा कि इस बार 51 क्विंटल धान बेचा। मेरा 82 हजार कर्ज माफ हुआ। इस पर मुख्यमंत्री ने पूछा पैसों से क्या लिए? जवाब मिला- बच्चों को पढ़ाउंगा, खेत की मेढ़ बनाउंगा। 93 हजार नगद देकर बाइक खरीदा है।

मुख्यमंत्री ने फिर पूछा कि इस पैसे से किस-किस ने ट्रैक्टर किसने खरीदा? इस पर बड़े गुडरा निवासी किसान तुकाराम सिन्हा ने बताया कि 51-52 हजार मिला। ट्रैक्टर खरीदा। किश्त भी पटा लिया। गांव में कितने ट्रेक्टर हैं, पूछने पर कहा कि 2 ट्रेक्टर मेरे ही घर में हैं। मुख्यमंत्री ने पूछा- गोठान किस-किस गांव में बना। इस पर बड़े गुडरा की महिलाओं ने बताया कि 2020 में गोठान बना। अब तक साढ़े 10 हजार किलो गोबर की बिक्री की है, जिसके एवज 21 हजार मिला। वहीं गोठान में बनाए गए कंपोस्ट खाद से 10 लाख आमदनी हुए, जिसे 25-25 हजार आपस में बांटे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी कटेकल्याण में डैनेक्स सेंटर गए थे, जहां महिलाओं का कूटा हुआ ढेंकी चावल विदेश जा रहा। इसके लिए बहुत बहुत बधाई। यहां का कपड़ा यूके, अमेरिका जाएगा, इसके लिए एमओयू किया गया है। मुख्यमंत्री के पूछने पर कटेकल्याण की रामकृष्ण समूह की सदस्य शकुंतला ठाकुर ने बताया कि उनके समूह ने इमली 450 किलो, कोदा 27, रागी, गिलोय की खरीदी की है, जिससे 50-60 हजार कमीशन मिला है।

हाट-बाजार क्लीनिक में डॉक्टर आते हैं या नहीं, यह पूछने पर ग्रामीणों ने सहर्ष कहा कि यह योजना जारी रहनी चाहिए। कटेकल्याण के पुजारी अनंतराम ने देवगुड़ी का स्वरूप बेहतर होने पर खुशी जताई। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि गायता, पुजारी पंजीयन करवा लें। उन्हें 7000 सालाना मानदेय मिलेगा।

पूना माड़ाकाल मे कितनों को रोजगार मिला? यह पूछे जाने पर मासोड़ी की आदिवासी महिला ने बताया कि महुआ नेट दिलाने से महुआ बीनने में लगने वाले मेहनत की बचत हुई है और इसका दाम भी ज्यादा मिल रहा है। उक्त महिला ने कहा कि नेट से बीना गया महुआ अब इंग्लैंड जाने वाला है। महिला ने कहा कि हम भी जाना चाहते हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने तपाक से कहा कि अपवनी सासु मां को भी साथ लेकर जाना। मुख्यमंत्री ने पूछा कि राजस्व विभाग के पटवारी तहसीलदार आते हैं? वनाधिकार पट्टा किस किस को मिला?

इस पर परचेली राउत पारा के ग्रामीण ने बताया कि 14 लोगों को पट्टा मिला। धान खरीदी का पंजीयन नहीं हुआ। सीएम ने कहा पंजीयन कराओ और धान की बिक्री करो। कटेकल्याण निवासी युवक देव कुमार नाग ने कटेकल्याण हास्पिटल में चाइल्ड स्पेशलिस्ट, बैंक की शाखा, एटीएम, मोबाइल नेटवर्क अर खेलों के लिए मिनी स्टेडियम की जरूरत बताई। कटेकल्याण निवासी ग्रामीण ने बताया कि देशी मुर्गे का पालन करता है और एक मुर्गा 5000 तक बिक जाता है। इस पर उसने खासियत बताते कहा कि लड़ाकू मुर्गे की डिमांड ज्यादा रहती है। मुख्यमंत्री ने पूछा- मुर्गा लड़ाई कब शुरू हो गया? इस पर ग्रामीण ने भोलेपन से जवाब दिया कि मुर्गा लड़ाई बंद ही कब हुआ था। उसका इशारा कोरोना काल की तरफ था।

मुख्यमंत्री बघेल ने बारसूर में लिया चापड़ा चटनी का स्वाद

बा रसूर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्थानीय किसान रामलाल नेगी के घर भोजन ग्रहण किया। इस मौके पर उन्होंने बस्तर के हाट बाजार का सबसे चर्चित पकवान चापड़ा चटनी खाया। चापड़ा चटनी बहुत स्वादिष्ट होती है और इसमें औषधीय गुण भी होते है। चापड़ा चटनी आम के पेड़ के पत्तों में रहने वाली लाल चीटियों को पीसकर बनाई जाती है। बस्तर में आने वाले पर्यटकों का एक आकर्षण चापड़ा चटनी भी होता है। इसके साथ ही उन्होंने छिंदाड़ी भी चखी। यह छिंद की एक विशेष किस्म की चटनी होती है। पूरे बारसूर क्षेत्र में छिंद के पेड़ बहुत पाए जाते है, जिसकी चटनी काफी प्रचलित है। इसके साथ ही मीठे में तीखूर बर्फी परोसा गया। इड़हर की सब्जी को इस क्षेत्र में सैगोड़ा कहा जाता है, यह कोचई के पत्ते से बनाई जाती है, यह भी परोसा गया। इसी प्रकार जोंदरा (मक्का) का पेज भी परोसा गया। उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र के ग्रामीण छिंद से गुड़ भी निकालते है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि बस्तर में यहां का अलग-अलग तरह का पारम्परिक खाना खा रहा हूं । मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि आपके खान-पान में इतनी विविधता है। मुख्यमंत्री ने भोजन ग्रहण करने के बाद उनके परिजनों को भोजन के लिए धन्यवाद दिया और उन्हें उपहार भेंट किया।