आपको बता दे किए धरमू नेताम के पिता बुधराम व माता सुकलीबाई निवासी बनियागांव नाकापारा भी कुली-मजदूरी का काम करते हैं। और इसी उनका जीवन चल रहा है, लेकिन अपने बेटे की इस प्रतिभा से आज भी उनके माता-पिता अनजान हैं। धरमूराम कुली-मजदूरी के साथ ही शादी-विवाह में बैंड बाजा बजाने का भी काम करता हैं। उसने स्थानीय स्तर पर होने वाले विभिन्न खेलों में अपनी प्रतिभा दिखाई हैं। लेकिन इससे बेहतर मौका और उसे कभी नहीं मिला जब वह अपनी प्रतिभा बस्तर से निकलकर बड़े महानगरों तक दिखा सके। यही वजह रही कि उसे मौका मिलते ही उसने अपनी एंट्री मार ली।
अकेला नहीं धरमू और भी है इलाके के धावक
जिले के माओवादी इलाका मर्दापाल निवासी फूलधर नेताम ने भी इसी स्पर्धा में 21 किलोमीटर के मैराथन में दूसरा स्थान प्राप्त किया हैं। दर-असल इन्हें वहॉ तक ले जाने वाला कोई और नहीं बल्कि जिला मुख्यालय में एक ऑटो पाट्र्स की दुकान का संचालक संतु साहू हैं वो खुद भी रनर है और उसने भी इस स्पर्धा में शामिल होकर दूसरा स्थान प्राप्त किया हैं। उसने बताया कि, ईमेल से मिले निमंत्रण के आधार पर वह अपने साथ धरमू व फूलधर को लेकर मुंबई पहुंचा और वहां पंजीयन करवाने के बाद दौड़ शूरू की और जीत दर्ज कराई। उन्होनें बताया कि, इस स्पर्धा में तकरीबन 5 हजार लोगों ने हिस्सा लिया था।