
महाशिवरात्रि में धार्मिक यात्रा के साथ एडवेंचर का लुप्त उठाना चाहते हैं, तो बस्तर में इस जगह से बेहतर कहीं नहीं
जगदलपुर. इस बार महाशिवरात्रि में धार्मिक यात्रा के साथ एडवेंचर का लुप्त उठाना चाहते हैं, तो बस्तर में गुप्तेश्वर से बेहतर जगह कहीं नहीं है। छत्तीसगढ़ के बस्तर और ओडिशा के कोरापुट जिले के सरहद पर रामगिरी पर्वत श्रृंखला पर भगवान गुप्तेश्वर महादेव स्थिति हैं। पत्रिका की टीम ने बुधवार को गुप्तेश्वर मंदिर की तैरियों का जायजा लेने पहुंची। जगदलपुर शहर से करीब 60 किमी. की दूरी पर स्थित गुप्तेश्वर का सफर बेहद रोमांच भरा रहा। जगदलपुर से ओडिशा बॉडर धनपुंजी पहुंचे और यहां से माचकोट, तिरिया होते हुए गुप्तेश्वर पहुंचे। माचकोट से ही जंगल शुरू हो जाता है। वहीं तिरिया से 12 किमी. दूर गुप्तेश्वर महादेव है।
तिरिया से रोमांचक सफर शुरू हो जाता है। यहां से संकरी जंगल की सड़के और रास्ते के दोनों और साल-सागौन के ऐसे घने जंगल की सूर्य की रोशनी भी यहां तक नहीं आती। इस १२ किमी. के एडवेंचर सफर के बाद आती है चट्टानों पर चिंघाड़ती-दहाड़ती शबरी नदी। यहां तक ही दो पहिया व चार पहिया वाहन से पहुंचा जा सकता है। इसके बाद शबरी नदी पर स्थित विशाल चट्टानों पर बनी बांस की चटाई से होकर नदी पार करना कम रोमांचकारी नहीं है। नदी की चट्टाने कटीली और धारदार हैं। ऐसे में बिना जूते और चप्पल के नदी के उस पार नहीं जा सकते। शबरी नदी और पहाड़ी पर करीब एक से डेढ़ किमी की दूरी पैदल चलने पर गुप्तेश्वर की पहाड़ी का विहंगम दृश्य देखने को मिला। इसके बाद गुप्तेश्वर महादेव के दर्शन के लिए करीब 150 से अधिक सीढियां चढ़कर मंदिर पहुंचे। यहां पर पहाड़ी के अंदर गुफा में विशालकाय गुप्तेश्वर महादेव का शिवलिंग है। गुप्तेश्वर महादेव के दर्शन के लिए इस रास्ते पर सिर्फ शिवरात्रि और गर्मी के मौसम में ही जा सकते हैं। वहीं ओडिशा के जैपुर से करीब ६० किमी की दूरी तय कर गुप्तेश्वर पहुंचा जा सकता है।
चार दिनों के मेले एक लाख से अधिक लोग पहुंचते हैं
गुप्तेश्वर में वैसे तो सालभर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। वहीं महाशिवरात्रि लाखों भक्त आते हैं। हर साल शिवरात्रि पर चार दिनों को मेला लगता है। शबरी नदी के दोनों ओर मेले के लिए दुकाने सज गई है, तो मंदिर में भी जोरों की तैयारियां चल रही है। मंदिर परिसर में रंग रोगन से लेकर साज-सज्जा तक लगभग सारे काम पूरे हो गए हैं। मंदिर के पुजारियों ने बताया कि महाशिवरात्रि पर ओडिशा, छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों से हर साल एक से डेढ़ लाख भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
चार सौ साल पहले यहां आए थे भोलेनाथ
गुप्तेश्वर महादेव मंदिर को लेकर कई किवदंतियां है। कई लोग कहते हैं कि शिवजी भस्मासुर से बचने के लिए ब्राहम्ण के रूप में यहां शरण लिए थे। वहीं मंदिर के मुख्य पुजारी सदाशिव मिश्रा ने बताया कि १६६५ में भगवान भोलेनाथ लोक लोचन (दुनिया देखने) के लिए आए थे। इस दौरान एक शिकारी ने उन्हें यहां देख लिया। तब से यह मंदिर प्रसिद्ध है। 12 साल पहले मंदिर के चारों ओर वीरान जंगल हुआ करता था। मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढिय़ां भी नहीं थी। जैसे-जैसे मंदिर का प्रचार प्रसार बढ़ रहा है वैसे ही यहां पर भक्तों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।
Published on:
20 Feb 2020 09:58 pm
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