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स्वास्थ्य विभाग ने तो हद ही पार कर दी, फ्लोराइड की जानकारी को लेकर जनप्रतिनिधि और शासन तक को कर रहा गुमराह

फ्लोराइड प्रभावित कई बसाहटों में पेयजल की व्यवस्था नहीं

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स्वास्थ्य विभाग ने तो हद ही पार कर दी, फ्लोराइड की जानकारी को लेकर जनप्रतिनिधि और शासन तक को कर रहा गुमराह

स्वास्थ्य विभाग ने तो हद ही पार कर दी, फ्लोराइड की जानकारी को लेकर जनप्रतिनिधि और शासन तक को कर रहा गुमराह

जगदलपुर. लोक स्वास्थ्य यंत्रिकी विभाग और स्वास्थ्य विभाग बस्तर में फ्लोराइड की जानकारी को लेकर जनप्रतिनिधि और शासन को गुमराह कर रहे हैं। जिले में फ्लोराइड को लेकर जानकारी मांगने पर हर बार अलग-अलग फर्जी जानकारी दी गई।

गौरतलब है कि फ्लोराइड की समस्या को लेकर पत्रिका द्वारा लगातार खबर प्रकाशित करने के बाद बस्तर विकास प्राधिकरण अध्यक्ष लखेश्वर बघेल ने जनवरी १४ जनवरी को स्वास्थ्य विभाग और पीएचई को पत्र लिख कर पांच दिनों में बस्तर जिले में फ्लोराइड प्रभावित गांवों और फ्लोरोसिस पीडि़तों की जानकारी मांगी गई। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने ७ फरवरी को आंकड़े प्रस्तुत किया। जिसमें बताया गया कि जिले के ३२ ग्राम पंचायत के ७९ बसाहट फ्लोराइड प्रभावित है। इसमें सिर्फ बस्तर और बकावंड ब्लॉक में ही फ्लोरोसिस पीडि़त मिले, जिसमें दंत फ्लोरोसिस के ६१९ और अस्थि फ्लोरोसिस के ४७ पीडि़त मिले। सब पुराने केस हैं। इसमें एक भी नए पीडि़त नहीं है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने विधानसभा में जानकारी दिया कि बस्तर और बकावंड ब्लॉक में दंत फ्लोरोसिस के ७१७ मरीज, अस्थि ६७ और दंत और अस्थि फ्लोरोसिस के ६ पीडि़त मिले हैं। बड़ी बात ये है कि स्वास्थ्य विभाग ने विधानसभा में यह जानकारी १५ नवंबर २०१९ को दिया है। बस्तर में फ्लोराइड जैसे गंभीर समस्या पर अधिकारी इस तरह से भ्रमक जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। इसमें कौन सी जानकारी सहीं है ये किसी को नहीं पता।

एक महीने में बढ़ गए फ्लोराइडयुक्त हैंडपंप की संख्या
जिले में फ्लोराइड को लेकर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग भी गंभीर नजर नहीं आ रहा है। एक ओर जहां बस्तर के ग्रामीण फ्लोराइड का धीमा जहर पीने को मजबूर है, तो दूसरी ओर विभाग के अधिकारी अपने टेबल पर ही बैठकर इसका समाधान कर रहे हैं। दरअसल जनवरी में पीएचई ने जानकारी दिया कि बस्तर जिले में करीब ११४ हैंडपंप फ्लोराइड प्रभावित है, जिसमें १०९ हैंडपंप बंद कर दिए गए हैं। वहीं विधानसभा में यह जानकारी दिया गया कि १५८ हैंडपंप फ्लोराइड प्रभावित हैं। इसमें १५३ हैंडपंप बंद कर दिया गया है। एक ओर अधिकारी कर रहे हैं कि जिले में फ्लोराइड की समस्या नहीं बढ़ रही है और दूसरी और एक महीने में ४४ फ्लोराइड प्रभावित हैंडपंप बढ़ गए।

फ्लोराइड प्रभावित कई बसाहटों में पेयजल की व्यवस्था नहीं
विधानसभा में जानकारी मांगने पर लोक स्वास्थ्य यंत्रिकी विभाग ने जानकारी दिया कि जिले के फ्लोराईइड प्रभावित हैंडपंप को बंद कर दिया गया है। वहीं इन गांवों में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था भी कर दी गई है। जबकि जैबेल ग्राम पंचायत के सालेगुड़ा और आवराभाठा बसाहट के ग्रामीण अब भी फ्लोराइडयुक्त पानी पी रहे हैं। सालेगुड़ा में दो हैंडपंप है, जो फ्लोराइड प्रभातिव है। शिकायत के बाद पीएचई ने दोनो हैंडपंप बंद कर दिया, लेकिन पेयजल की व्यवस्था नहीं होने के कारण ग्रामीण फिर से हैंडपंप शुरूकर लिए। इसी प्रकार की स्थिति आवराभाठा में है। यहां के हैंडपंप में फ्लोराइड के साथ ही आयरनयुक्त पानी निकलता है। जिसे पी कर ग्रामीण बीमार पड़ रहे हैं।

सीधी बात- डॉ. आरके चतुर्वेदी, सीएमएचओ
सवाल- जिले में फ्लोरोसिस पीडि़तों की संख्या को लेकर स्वास्थ्य विभाग गुमराह कर रहा है।
जवाब- ऐसा नहीं है।
सवाल- विधानसभा में पीडि़तों की संख्या अधिक और विधायक लखेश्वर बघेल को दी गई जानकारी में संख्या कम हो गई है। ऐसा क्यों।
जवाब- सर्वे के दौरान कोई व्यक्ति घर पर मौजूद नहीं रहा होगा वह छूट गए होंगे और दूसरी बार सर्वे के दौरान वे मिल गए होंगे, इसलिए आंकड़ों में अंतर आया होगा।
सवाल- विधानसभा को १५ नवंबर २०१९ जानकारी दी गई है, जबकि विधायक लखेश्वर बघेल ने १४ जनवरी को जानकारी मांगी थी। ऐसे में मरीज बढऩे के बजाए घट कैसे गए।
जवाब- आपके पास जो आंकड़े हैं और हमारे पास कौन से आंकड़े हैं उसे देखने के बाद ही मैं कुछ बता पाउंगा।