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यहाँ ग्रामीण अपने सहूलियत के अनुसार करते है रावण का वध

कोण्डागांव- आपको यह जानकर भले ही यकीन न हो पर विजयदशमी के बाद रावण दहन करने की परंपरा हमारे जिले के एक गांव में आज भी बरकरार है। जो दशकों से चली आ रही है, इस वर्ष यहाँ रावण दहन का आयोजन मंगलवार को विधि विधान से माकड़ी विकासखण्ड के ग्राम अनंतपुर में हुआ। वैसे तो इलाके में विजयदशमी के दिन ही रावण का दहन किया जाता है। लेकिन अनंतपुर में यह परंपरा पूर्वजो से चली आ रही है और गांव में पूर्वजो के द्वारा बनाई गई इस परंपरा को आज की युवा पीढ़ी भी संजोए हुए है।

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यहाँ ग्रामीण अपने सहूलियत के अनुसार करते है रावण का वध

रावण दहन का आयोजन मंगलवार को विधि विधान से माकड़ी विकासखण्ड के ग्राम अनंतपुर में हुआ।


विजयदशमी पर नही होता अनतपुर में रावण का दहन।

दशको से चली आ रही है यह परम्परा गांव में।

इस आयोजन में ग्रामीण बड़े ही धूमधाम के साथ रामलीला का आयोजन कर लीला में अहंकारी रावण वध के साथ ही रावण के पुतले का दहन करते है। ग्रामीणों की माने तो रावण दहन हम अपने सहुलियत के अनुसार करते है। गांव ही यह परम्परा भले ही कुछ अलग हो, लेकिन यही अलगपन ही स्थानीय ग्रामीणों के साथ ही अन्य लोगों को भी उत्साह व आनद से भरने वाला होता है। और इस आयोजन में दूर-दराज के लोग बड़ी संख्या में शामिल होने भी पहुचते है।

यह है परम्परा की वजह

दरअसल विश्व विख्यात बस्तर दशहरा पर्व में सबसे ज्यादा जिले के ही देवी-देवता शामिल होने जाते है। और जबतक इन देवी-देवताओं की बस्तर राज परिवार के द्वारा विदाई नही की जाती तबतक अनंतपुर के ग्रामीण रावण वध नही करते। ग्रामीणों की माने तो ग्राम के देवी-देवताओं के डोली, छतर बस्तर दशहरा पर्व पर सम्मिलित होने जाते हैं। जिसके कारण गांव में सुना-सुना माहौल रहता है। और जब बस्तर दशहरा की समाप्ति व माईजी की डोली कि विदाई की जाती है। तो सभी परगना से पहुचे देवी देवताओं को भी अपने-अपने क्षेत्रों में विदाई विधाननुसार होता है, और वापस अपने गृह ग्राम में पहुंचने के बाद स्थानी बाजार के दिन यहाँ रावण दहन किया जाता है।

जब हमारे देवी-देवता बस्तर दशहरे से शामिल होकर लौटते है। उसके बाद ही हमारे गांव में रावण दहन की परंपरा चली आ रही है।

सुकलाल बघेल, सरपंच