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Independence Day 2023 : आजादी के 75 साल बाद घोर नक्सली इलाके में पहली बार होगी वोटिंग, ऐसे बदली गांव की तस्वीर

Independence Day 2023 : बस्तर जिले के बेहद संवेदनशील इलाके में मौजूद चांदामेटा गांव के ग्रामीण आजादी के बाद पहली बार इस विधानसभा चुनाव में अपने ही गांव में मतदान कर सकेंगे।

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Independence Day 2023 : आजादी के 75 साल बाद घोर नक्सली इलाके में पहली बार होगी वोटिंग, ऐसे बदली गांव की तस्वीर

Independence Day 2023 : आजादी के 75 साल बाद घोर नक्सली इलाके में पहली बार होगी वोटिंग, ऐसे बदली गांव की तस्वीर

Independence Day 2023 : बस्तर जिले के बेहद संवेदनशील इलाके में मौजूद चांदामेटा गांव के ग्रामीण आजादी के बाद पहली बार इस विधानसभा चुनाव में अपने ही गांव में मतदान कर सकेंगे। कलेक्टर बस्तर विजय दयाराम ने बताया कि 4 दशक तक नक्सलवाद का दंश झेल चुके यहां के ग्रामीणों को 5 किलोमीटर दूर छिंदगुर में जाना पड़ता था।

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Independence Day 2023 : चांदामेटा गांव में कैंप खुलने के बाद पहली बार वर्ष 2022 में पहली बार आजादी का जश्न मनाया गया था। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद पहली बार 15 अगस्त को जवानों संग ग्रामीणों ने तिरंगा फहराया था। इससे पहले इस इलाके में नक्सली 15 अगस्त और 26 जनवरी को काला झंडा फहराते थे। इस पूरे इलाके में दरभा डिवीजन के नक्सलियों की हुकूमत चलती थी। खूंखार नक्सली सोनाधर बड़े लीडरों में से एक था। उसके एनकाउंटर के बाद से नक्सल दहशत कम हुई है।

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हाल ही में चांदामेटा में पहली बार स्वं के भवन में प्राथमिक स्कूल का संचालन की शुरुवात हुई थी इसे पहले यहां स्थित सुरक्षा बल के कैंप में प्राथमिक विद्यालय का संचालन हो रहा था। कलेक्टर विजय दयाराम ने बताया गांव में ही मतदान केंद्र खुलने से अधिक से अधिक संख्या में ग्रामीण अपने मत का प्रयोग कर सकेंगे बस्तर जिले के नक्सल प्रभावित तकरीबन 35 गांव में पहली बार मतदान केंद्रों का संचालन करने की तैयारी जिला प्रशासन कर रहा है हालांकि इलाका संवेदनशील होने के चलते मतदान केंद्रों की संख्या और केंद्रों के नामों को फिलहाल जिला निर्वाचन अधिकारी सार्वजनिक नहीं कर रहे।

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ऐसे बदली तस्वीर

दरअसल कुछ वर्ष पहले ही नक्सलियों के इस गढ़ में पहला कैंप दरभा और उसके बाद कोलेंग कैंप स्थापित हुआ। फिर इस पूरे इलाके को जवानों ने अपने कब्जे में ले लिया। इस क्षेत्र में सक्रिय हार्डकोर नक्सली सोनाधर भी जवानों के हाथों मारा गया। इसके बाद जवानों का बढ़ता दबदबा देख दूसरा नक्सली संजीव इलाके को छोडक़र चला गया है। जिसके बाद से इस क्षेत्र के लोगों के बीच भी पुलिस को लेकर स्वीकार्यता बढ़ी। जवानों ने नक्सलियों के इलाके को लगातार निशाने पर रखा और ऑपरेशन जारी रखे। जिसके बाद गांव के हालात सुधरने लगे। यही वजह रही कि अब प्रशासन इस गांव में ही वोटिंग करवाने की तैयारी कर रहा है। अब गांव वालों को भी बुनियादी सुविधाएं मिलने लगी हैं और उनका लोकतंत्र पर भरोसा बढ़ा है।

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इसलिए खतरनाक थी यहां वोटिंग

बस्तर के संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से महज 60 से 70 किमी की दूरी पर चांदामेटा गांव बसा है। जगदलपुर से कोलेंग और चिंगुर होते हुए चांदामेटा पहुंचा जाता है। यह गांव घने जंगल व पहाड़ी से घिरा हुआ है। कोलेंग को नक्सलियों की राजधानी व चांदामेटा को नक्सलियों का गढ़ कहा जाता था। यहां स्थित तुलसी डोंगरी में नक्सलियों का ट्रेनिंग सेंटर हुआ करता था। नक्सली अपने लाल लड़ाकों को हथियार चलाना, मुठभेड़ में कामयाबी हासिल करने का प्रशिक्षण देते रहे। वहीं इस इलाके में लोकतंत्र का समर्थन करने वाले तीन जनप्रतिनिधियों के नक्सली हत्या कर चुके है।