
जिस रास्ते से बस्तर में आया था माओवाद, आज उसी रास्ते से निकलेगा शांति मार्च
जगदलपुर. बस्तर में जिस रास्ते माओवाद ने कदम रखा था, अब देश विदेश के समाज सेवी उसी रास्ते शांति मार्च निकालकर माआेवादियों को मुख्यधारा में शामिल होने की अपील करेंगे। मंगलवार को महात्म ागांधी की जयंती शुरू होने वाले इस मार्च में देश-विदेश के 200 से अधिक बुद्धिजीवी शामिल हो रहे हैं। साथ ही स्थानीय आदिवासियों की भागीदारी भी इस मार्च में रहेगी। यह रैली सीमांघ्र के चेट्टी के शबरी गांधी आश्रम से निकलतेे हुए 10 दिन बाद जगदलपुर पहुंचेंगी।
यात्रा में शामिल होने वाले सुभ्रांशु ने बताया कि करीब 4 दशक से माओवाद का दंश झेल रहे बस्तर में शायद ही कोई एेसा वर्ग होगा जो इससे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित न हुआ होगा। मार्च के माध्यम से बस्तर में खूनी संघर्ष को रोकने की अपील की जाएगी। यात्रा कोंटा, सुकमा, तोंगापाल व झीरम होते हुए जगदलपुर पहुंचेगी।
बस्तर के बड़े आदिवासी नेता भी होंगे शामिल
आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम, कांग्रेस के आदिवासी नेता अरविंद नेताम, नंदिनी सुंदर, वीबी चंद्रशेखरन, सुभ्रांशु चौधरी समेत अन्य समाज सेवी लोग मौजूद रहे।
तिल्दा में बना था इस शांति मार्च का खाका
संगठन से जुड़े लोगों ने बताया कि माओवाद को रोकने के लिए जून में रायपुर के तिल्दा में एक बैठक रखी गई थी। जिसमें कई समाज सेवी जुटे थे। बैठक में ही इस शांति मार्च का खाका तैयार किया गया था।
अग्नि को यात्रा की मंशा पर संदेह
इस यात्रा में कुछ एेसे नाम शामिल हैं, जिन्होंने शुरू से माओवादी हिंसा पर कभी अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी और उनकीउनकी सोंच रही है। माआेवादी हिंसा का विरोध नहीं किया है। यदि वे खुलकर बोले माओवादी हिंसा गैर कानूनी है, संविधान के खिलाफ हैं, हथियार छोड़ें। एेसे में हम भी उनके साथ है।
आनंद मोहन मिश्रा, संयोजक, अग्नि
सुरक्षित है इलाका, विशेष सुरक्षा की जरूरत नहीं
पुलिस की कार्रवाई से माओवादी बैकफुट पर हैं। यह पुरा इलाका सुरक्षित है। इसलिए कोइ विशेष सुरक्षा की जरूरत नहीं। उन्होंने सुरक्षा मांगी भी नहीं है। - विवेकानंद सिन्हा, आइजी, बस्तर रेंज
Published on:
02 Oct 2018 10:28 am
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