
NEET Exam 2024: बस्तर के वे इलाके जो नक्सलियों के कब्जे में थे वहां के लोग हमेशा खून खराबा, आईईडी विस्फोट जैसी घटनाएं ही देखकर बड़े होते थे और एक समय के बाद हथियार थामने को ही मजबूर हो जाते थे या फिर गांव में मजबूरी में उनके लिए काम करना पड़ता था। अब बस्तर के हालात बदल रहे हैं। ऐसे इलाके के लोग डॉक्टर, इंजीनियर और अधिकारी बनाने का सपना लिए गांव से बाहर आ रहे हैं और इनके सपनों को बस्तर में जिला प्रशासन द्वारा संचालित की जा रही ज्ञानगुड़ी उड़ान दे रही है।
यही वजह है कि एक साल पहले ऐसे बच्चों के लिए शुरू हुई नि:शुल्क कोचिंग में बच्चों ने कमाल कर दिखाया और पहले ही बैच ने इस साल नीट में बस्तर से पहली बार 64 बच्चे क्वालीफाई कर सके हैं। इन बच्चों में कई धुरनक्सल प्रभावित इलाके से हैं। नीट क्वालिफाइ करने के बाद बच्चे कलेक्ट्रेट पहुंचे और यहां कलेक्टर, एसपी व अन्य लोगों से मुलाकात की।
कलेक्टर वियज दयाराम के. ने सभी बच्चों से कहा कि भले ही जिला प्रशासन की ज्ञानगुड़ी में आप लोगों ने शिक्षा ली हो लेकिन इसमें सबसे ज्यादा इन बच्चों की मेहनत है और यहां के टीचरों का मार्गदर्शन है। अच्छी बात यह है कि जिस उद्देश्य से इसकी शुरूआत की गई थी वह पूरा होता नजर आ रहा है। मेहनत का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। इसलिए आगे भी मेहनत करें और अपने यहां लौटकर लोगों की सेवा करें। एसपी शलभ सिन्हा ने बच्चों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि मेहनत से सभी बच्चों ने यह मुकाम हासिल किया है।
कलेक्टर वियज दयाराम के. ने सभी बच्चों से कहा कि भले ही जिला प्रशासन की ज्ञानगुड़ी में आप लोगों ने शिक्षा ली हो लेकिन इसमें सबसे ज्यादा इन बच्चों की मेहनत है और यहां के टीचरों का मार्गदर्शन है। अच्छी बात यह है कि जिस उद्देश्य से इसकी शुरूआत की गई थी वह पूरा होता नजर आ रहा है। मेहनत का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। इसलिए आगे भी मेहनत करें और अपने यहां लौटकर लोगों की सेवा करें। एसपी शलभ सिन्हा ने बच्चों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि मेहनत से सभी बच्चों ने यह मुकाम हासिल किया है।
जगदलपुर शहर की ही एश्वर्या राय ने बताया कि काफी समय पहले जब उनके दादा की तबीयत बिगड़ी तो उन्हें अस्पताल लाया गया, लेकिन यहां डॉक्टर न होने की वजह से बाहर ले जाने कहा गया। रास्ते में उनका देहांत हो गया। तब से परिवार और उनके मन में था कि डॉक्टर बनना है। परिवार और खुद का सपना पुरा करने के लिए ज्ञानगुड़ी में शिक्षकों के मार्गदर्शन में तैयारी की। आखिरकार कड़ी मेहनत के बाद सफलता मिली और अब डॉक्टर बिनकर लोगों की जान बचानी है। तभी यह सपना पूरा होगा।
नीट क्वालीफाई करने वाले 64 बच्चों में माना जा रहा है कि 17 बच्चों का रैंक इतना बेहतर है कि उन्हें आसानी से सरकारी कॉलेज की सीट मिल जाएगी वह भी पहली ही काउंसिलिंग में। इनमें अच्छी बात यह है कि अधिकतर ऐसे बच्चे हैं जो नक्सल प्रभावित इलाके से आते हैं। बाकी के बच्चों ने क्वालीफाइ जरूर कर लिया है, लेकिन सरकारी सीट को लेकर स्थिति साफ नहीं है। लेकिन फिर भी एक साथ 64 बच्चों का नीट क्वालीफाइ कर लेने को लेकर जिला प्रशासन बड़ी उपलब्धि बता रही है।
दंतेवाड़ा का मटेनार यह वही इलाका है जहां से कुछ दूरी पर नक्सलियों ने 2019-20 में यहां से विधायक रहे भीमा मंडावी को आईईडी विस्फोट कर हत्या कर दी थी। साथ ही भीमा मंडावी की पत्नी ओजस्वी भी इसी मटेनार ग्राम की हैं। यहां के लक्खूराम पोडिय़ाम ने भी गांव में रहने से बेहतर बाहर आकर मेहनत कर डॉक्टर बनकर वापस गांव आने की ठानी। इस जिद को जगदलपुर की ज्ञानगुड़ी ने नया आकार दिया। यहां लगातार मेहनत के बाद उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर आज नीट जैसी कठिन परीक्षा पास कर ली है। उनका कहना है कि गांव डॉक्टर बनकर लौटूंगा।
कहा जाता है कि बस्तर में नक्सलियों ने पहला आईईडी ब्लास्ट नारायणपुर के मंगोली गांव में पोलिंग पार्टी के ऊपर किया था। यहां इसके बाद से नक्सलियों की मजबूत दखल थी, लेकिन यहां से सटे गांव चुरेनार गांव के समीर मरकाम ने नीट क्वालीफाई कर लिया है। इस तरह वह अपने आस पास के करीब 50 गांव का पहला नीट क्वालीफाई करने वाला युवक बन गया है। यदि वह डॉक्टर बन गया तो इलाके से बाहर निकलकर डॉक्टर बनने वाला पहला युवक होगा। यहां तक पहुंचने में उसके भाई नरेंद्र मरकाम का बड़ा हाथ हैं।
Published on:
08 Jun 2024 01:21 pm
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