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1 साल का मासूम… 72 घंटे से कोमा व 48 घंटे वेंटिलेटर में रहने के बाद जीती जिंदगी, परिवार के खुशी का नहीं रहा ठिकाना

Jagdalpur News Update : डॉक्टरों को यूं ही धरती का भगवान नहीं कहा जाता। इस बात को बस्तर के मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने साबित कर दिखाया है।

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1 साल का मासूम... 72 घंटे से कोमा व 48 घंटे वेंटिलेटर में रहने के बाद जीती जिंदगी, परिवार के खुशी का नहीं रहा ठिकाना

1 साल का मासूम... 72 घंटे से कोमा व 48 घंटे वेंटिलेटर में रहने के बाद जीती जिंदगी, परिवार के खुशी का नहीं रहा ठिकाना

Jagdalpur News Update : डॉक्टरों को यूं ही धरती का भगवान नहीं कहा जाता। इस बात को बस्तर के मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने साबित कर दिखाया है। दरअसल मेडिकल कॉलेज में लोहंडीगुड़ा के उसरीबेड़ा से 1 साल के इशाक को बेहद गंभीर स्थिति में भर्ती कराया गया था। खेल-खेल में उसने कीटनाशक पी लिया था। (cg news update) जिसके बाद से उसकी तबीयत बिगडऩे लगी। जब तक परिवार वाले उसे मेडिकल कॉलेज लाते तब तक व लगभग कौमा में पहुंच चुका था।

31 मई की देर रात मेकाज में भर्ती कराने के बाद डॉक्टरों ने खराब स्थिति को देखते हुए भी डॉक्टरों ने हार नहीं मानी और बच्चे की देखरेख में लगे रहे। (cg breaking news) 48 घंटे तक वेंटिलेटर में रहने के बाद इस मासूम की चली जिंदगी और मौत के बीच जग में जिंदगी जीत गई। आज कोमा से बाहर आ गया है और उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।

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अब बेहतर है स्थिति

बच्चे का इलाज कर रहे डॉक्टर और मेकाज में पिडियाट्रिक डिपार्टमेंट के एचओडी व मेकाज अधीक्षक अनुरूप साहू ने बताया कि बच्चे दोनो फेफड़ों में काफी दिक्कत थी। सांस फूलना और फेफड़े काम भी नहीं कर रहे थे। (jagdalpur breaking news) रेस्पाइरेटरी स्ट्रिेस यानी गंभीरतम स्थिति में उसे भर्ती कराया गया। बच्चे वेंटीलेटर में रखकर इंटेंसिव ट्रीटमेंट दिया गया। कोमा में रहने के दौरान बच्चे की लगातार देखरेख की गई। इसके साथ ही एंटी बायोटिक व लाइफ सेविंग दवाएं लगातार जारी थी। (cg jagdalpur news) 3 दिन तक इलाज के बाद उसकी जान बची। अब वह होश में है। डॉक्टर का कहना है कि बच्चे की स्थिति खतरे से बाहर है।

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ

पिडियाट्रिक विभाग के एमडी डॉ. अनूरूप साहू ने पत्रिका को बताया कि ऐसे मामले में लगातार डॉक्टरों की मॉनिटरिग जरूरी है। साथ ही इसके लिए ऑक्सीजन, नेबुलाइजर समेत अन्य जरूरी उपाय करने चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि बच्चों के मामले में माता पिता को संवेदनशील होना चाहिए। तबीयत बिगड़ते ही अस्पताल पहुंचना है। (jagdalpur news today) जरा सी देरी भी खतरनाक साबित हो सकती है। सहीं समय पर अस्पताल पहुंचने पर गंभीर बिमारी का भी इलाज संभव होता है।

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खेल-खेल में मासूम ने पी लिया था कीटनाशक

आज के दौर में कई तरह की दवाईयां लोगों की जरूतर बन गई है। लेकिन सामान्य मानी जाने वाली यह दवाईयां भी मासूम बच्चों के लिए खतरनाक हो सकती है। ऐसे में जरूरी है इस तरह की दवाईंया या कीटनाशक को बच्चों के पहुंच से दूर रखा जाए। (Jagdalpur News Update) साथ ही बच्चों के खेलते वक्त भी उनका ध्यान देना आवश्यक है जिससे की कोई घटना न घट सके। इसलिए बच्चों की विशेष देखभाल की जरूतर रहती है। (cg news today) यह जिम्मेदारी बहुत ही गंभीरता से निभानी चाहिए।