
बस्तर के छात्रों के लिए खुशखबरी, सीख सकेंगे अन्य भाषाएं, जल्द खुलेगा लैंग्वेज लैब
CG Jagdalpur News : बस्तर में अंदरुनी आदिवासी इलाकों में उच्च शिक्षा संस्थानों की कमी है, जो संस्थान हैं उनमें भी प्राध्यापकों की कमी है। बस्तर के ग्रामीण अंचल मे ड्रॉप आउट की बढ़ रही संख्या सरकार की चिंता का सबब बनी हुई हैं। आज़ादी के सात दशक बाद बस्तर को एक विश्वविद्यालय मिला है । ऐसे मे इस इकलौते विश्वविद्यालय से लोगों की अपेक्षा अधिक है । (cg news today) बस्तर में उच्च शिक्षा की संभावनाओं, छात्रों को ऐसे शिक्षण संस्थानों तक खींच लाने, रोजगारपरक शिक्षा देकर उनका स्किल डेवलपमेंट करने तथा शोध व रिसर्च की ओर अग्रसर करने शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मनोज कुमार श्रीवास्तव से पत्रिका ने बातचीत की।
वर्तमान में उच्च शिक्षा लेने शिक्षण संस्थानों तक विद्यार्थियों को लाने क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
विश्वविद्यालय की स्थापना बस्तर में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा दिलाने के लिए की गई है। यहां यह देखा गया की स्कूली शिक्षा के बाद ड्राप आउट ( शिक्षण संस्था छोड़ने ) की संख्या बहुत ज्यादा है। (cg bastar news) उच्च शिक्षा के लिए शहर, जिला व राज्य से बाहर जाना आदिवासियों के लिए आर्थिक परेशानी का सबब है। इसलिए बस्तर के अंदरुनी जगहों तक में कालेज खोले गए व खोले जा रहे हैं। विश्वविद्यालय में भी अच्छी, सुलभ एवम गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की चाह रखने वाले विद्यार्थियों को आवास के साथ शिक्षा देने हास्टल की सुविधाएं दी गई हैं। (jagdalpur news) विवि ग्रास एनरोलमेंट रेशियो ( उपस्थिति का अनुपात ) बढ़ाने प्रशासन, एनजीओ को साथ लेकर काउंसिलिंग व छात्रों के प्लेसमेंट की ओरप्रयास करेगा।
पाठ्यक्रम के सिलेबस किस तरह के हों, इन्हे लागू करने क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए यह आवश्यक है कि सिलेबस मॉडर्न, अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में चुनौतीपूर्ण तथा इंडस्ट्री और व्यवसाय की आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर बनाये गए हों। इसके अलावा शिक्षक, प्राध्यापक की पर्याप्त संख्या हो। (cg hindi news) देखा यह गया है कि स्कूल, कालेज व विवि स्तर पर अभी प्राध्यापकों की संख्या पर्याप्त नहीं है। इन्हें पूरा करने शासन प्रयासरत है। यदि ऐसा होगा तो निश्चित ही शिक्षक अपने संस्थान में बेहतर नतीजा देने कोशिश करेंगे। विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षण व्यवस्था होने का फायदा देश हित में होगा।
विश्वविद्यालय में चल रहे पाठ्यक्रम बस्तर के अनुकूल हों इसके लिए क्या प्रयास किए जा रहे है ?
विश्वविद्यालय से मैंने शासन को स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिए 17 नए विभाग तथा 25 नये पाठ्यक्रम खोले जाने की अनुमति मांगी है। (cg news in hindi) इनमें कला, वाणिज्य, गणित, विधि, लाइब्रेरी व इनफार्मेशन साइंस, लाइफ साइंस, फार्मेसी जैसे संकाय हैं। यहां विवि के लिए आधारभूत संरचना कुछ हद तक तो है पर संगठनात्मक व संरचनात्मक ढांचा भी उसी अनुरुप मजबूत करने प्रयास कर रहे हैं। बेसिक विषय की पढाई विवि स्तर पर भी होनी चाहिए।
इसके बात विशिष्ट योग्यता वाले पाठ्यक्रम शीघ्र खोले जाने की योजना की जा रही है। ग्रामीण पृष्टभूमि से आए विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं व नौकरी के इंटरव्यू में पिछड़ जाते हैं। इसकी वजह है इनकी हिंदी व अंग्रेजी में पकड़, ऐसा नहीं कि वे इसे समझते नहीं बल्कि वे समझाने में असमर्थ होते हैं। इनके लिए कालेज में लेगुएज लेब खोले जाएंगे। (jagdalpur news) इन लेब में ऑडियो- विडियो व पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन के जरिए इन्हें इनके कहे वाक्यों को दूसरी भाषा में सटीक अनुवाद, उनके प्रनाउंसिएशन व शब्दार्थ की जानकारी मिलेगी। वे खुद ही इसे आपरेट कर सकेंगे।
नई शिक्षा नीति के लिए विश्वविद्यालय की क्या तैयारी है?
नई शिक्षा नीति में भी तीन वर्षीय ग्रेजुएशन के साथ ही रिसर्च करने चार साल का पाठ्यक्रम निर्धारित किया गया है। (cg jagdalpur news) इसलिए आवश्यक है कि विश्वविद्यालय में सभी विषय के अध्ययन- अध्यापन व शोध की सुविधाएं मुहैया हों। मेरी कोशिश है कि यह विश्वविद्यालय में मल्टी डिसिप्लिनरी संस्थान बने। सभी संकाय एक ही छत के नीचे सुविधानुसार संचालित हों। छात्रों को ज्यादा से ज्यादा बहुविषयक एवम विशिष्टता के आप्श्नल विषय मिलें।
Published on:
03 Jul 2023 06:09 pm
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