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चार साल से बंद है पीएचई की चलित प्रयोगशाला लाखों की मशीनें फांक रही हैं धूल

दस साल पहले खरीदी गई थी चलित प्रयोगशाला, जो कुछ ही सालों में जांच उपकरण हो गए खराब

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चार साल से बंद है पीएचई की चलित प्रयोगशाला लाखों की मशीनें फांक रही हैं धूल

चार साल से बंद है पीएचई की चलित प्रयोगशाला लाखों की मशीनें फांक रही हैं धूल

जगदलपुर. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) का चलित प्रयोगशाला करीब चार साल से बंद पड़ी है। वहीं प्रयोगशाला वाहन में लगे लाखों के मशीन धूल खा रहे हैं। इससे बस्तर के फ्लोराइड और आयरन प्रभावित गांवों में नियमित रूप से पेयजल की शुद्धता की जांच नहीं हो पा रही हैं। इस वजह से जिले के कई ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को फ्लोराइड और आयरनयुक्तपानी पीना पड़ रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार पीएचई को करीब दस साल पहले चलित प्रयोगशाला मिली थी। तीन-चार साल में ही इस प्रयोगशाला में लगी मशीनें खराब हो गई। इन मशीनों के मेंटेनेंस के लिए टेंडर किया गया। टेंडर अवधि के दौरान संबंधित फर्म ने मशीनों का मेंटेेनेंस किया। इसके बाद फिर से मशीन कंडम हो गई। अब इस चलित प्रयोगशाला को शुरू करने के लिए विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कोई पहल नहीं किया जा रहा है।

लाखों की ये मशीनें हो गई कबाड़
पीएचई के चलित प्रयोगशाला में लाखों रुपए के जांच उपकरण लगाया गया है। इसमें टरबिनिटिंग मीटर (गंदा पानी जांचने का यंत्र), टीडीएस मीटर, कंडेक्टिविटी यंत्र, पीएच मीटर व अन्य यंत्र है। इसमें से कुछ यंत्र को पीएचई के प्रयोगशाला में उपयोग किया जा रहा है, जबकि ज्यादातर उपकरण कंडम हो गए हैं।

इस लिए शुरू किया गया था चलित प्रयोगशाला
जिले में २०१०-११ में बस्तर और बकावंड ब्लॉक में फ्लोरोसिस पीडि़तों की संख्या बढऩे के बाद पीएचई को यह चलित प्रयोगशाला दी गई थी। जिले में फ्लोराइड के अलावा कई क्षेत्रों के पानी में आयरन की मात्रा भी अधिक मिलने लगा था। ऐसे क्षेत्रों के लोगों को बेहतर पेयजल उपलब्ध कराने के लिए चलित प्रयोगशाला की मदद से मौके पर पानी की शुद्धता जांच की जाती थी। वहीं जिस हैंडपंप में मानक से अधिक फ्लोराइड और आयरन मिलने पर उसे तत्काल बंद किया गया। अब वर्तमान समय में चलित प्रयोगशाला ही कंडम हो गई है। जिससे पानी की जांच के लिए लोगों को विभागों का चक्कर लगाना पड़ रहा है।