हजारों की संख्या में पदयात्रा में शामिल हुए ग्रामीण जिला मुख्यालय में हुआ भव्य आमसभा का आयोजन, प्रदेश सरकार व मंत्री कवासी लखमा पर जमकर बरसे आदिवासी महासभा के पदाधिकारी
सुकमा . अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के द्वारा 12 सूत्री मांगों को लेकर सिलगेर से सुकमा के लिए निकली पदयात्रा सोमवार को सुकमा जिला मुख्यालय पहुंची। जिला मुख्यालय के मिनी स्टेडियम में भव्य आमसभा का आयोजन किया गया। जिसमें हजारों की संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। इस आमसभा के साथ ही इस पदयात्रा का समापन हुआ।
ज्ञात हो कि सिलगेर से यह पदयात्रा 19 सितम्बर को सुकमा के लिए निकली थी। यह पदयात्रा विभिन्न पड़ाव से होते हुए सोमवार को सुकमा जिला मुख्यालय पहुंची। पुलिस प्रशासन द्वारा पदयात्रा रैली को व्यवस्थित ढंग के मिनी स्टेडियम पहुंचाने के लिए बेरिगेटिंग की गई थी। इसी के साथ सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ी संख्या में पुलिस के अधिकारी व जवानों की तैनाती की गई थी। साथ ही इसके अलावा कलेक्टर मार्ग पर भी बेरिगेटिंग व सुरक्षा व्यवस्था का पूरा इंतजाम किया गया था। जबकि यह कार्यक्रम केवल आम सभा को संबोधित करने के साथ ही समापन किया जाना पहले से ही तय था। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री व आदिवासी नेता अरविंद नेताम, सीपी राव, शंकर राव, के शाजी, राजेश संधु, कलमेश झाड़ी, भीमसेन मंडावी, हरिनाथ सिंह, रामूराम मौर्य, बोमड़ा राम कड़ती, जय प्रकाश नेताम, साधुराम कुंजाम, रामा सोड़ी, महेश कुंजाम, मंजू कवासी, आराधना मरकमा, राजेश नाग, हड़माराम, शैलेन्द्र कश्यप, पी भीमा, देवाराम मंडावी, कलमु आयते, जीआर नेगी, हांदाराम कवासी, करटम जोगा, मूलवासी बचाओ मंच के रघु व गजेंद्र मंडावी सहित जिले भर के हजारों की संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।
अखिल भारतीय आदिवासी महासभा व बस्तर संभागीय समिति के संयोजक मनीष कुंजाम ने कहा कि 100 किमी से अधिक की पदयात्रा तय कर आज जिला मुख्यालय में आम सभा का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यहां तक पहुंचने में उन्हें काफी कठिनाइयों व चुनौतियों का सामना करते हुए आना पड़ा, क्योंकि रास्ते में नदी नाले में बारिश के बीच पदयात्रा पूरी करने में काफी चुनौती थी। लेकिन जिस प्रकार से लोग पदयात्रा में जुड़ते गए तो यह एक में उत्साह बदल गया था। जिले भर के ग्रामीणों से इस पदयात्रा को पूर्ण समर्थन मिला है। हमारी लड़ाई को देखते हुए पड़ोसी राज्य ओडिशा के मटेर गांव के ग्रामीण भी शामिल हुए।
आदिवासियों का 12 प्रतिशत आरक्षण हुआ कम - मनीष कुंजाम
मनीष कुंजाम ने कहा कि बिलासपुर हाई कोर्ट से फैसला आया है कि अब आदिवासियों को आरक्षण 32त्न से घटकर घटाकर 20त्न कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने न्यायालय में इस मामले पर सही पक्ष नहीं रखा। जिसकी वजह से ऐसा फैसला आया है, यह सरकार आदिवासियों के विरुद्ध कार्य कर रही है। जिसका खामियाजा स्थानीय आदिवासियों को भुगतना पड़ रहा। पेसा कानून को जिस रूप में लागू किया जाना था उसे वैसा नहीं करके और इसे तोड़ मरोड़ कर लागू कर दिया, जिसका कोई औचित्य नहीं रह गया है। कुल मिलाकर पेसा कानून को कमजोर कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सिलगेर गोली कांड की न्यायिक जांच को सार्वजनिक करना व दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की जा रही है, साथी सारकेगुड़ा एड्समेटा की रिपोर्ट आने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके अलावा जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि 17 महीने से सिलगेर में आंदोलन जारी है, इस आंदोलन को सुकमा जिला मुख्यालय लाकर न्याय के लिए आवाज उठाया जा रहा है।
प्रदेश सरकार ने पेसा कानून को कमजोर कर दिया - अरविंद नेताम
पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी को देश में हजारों किमी की पदयात्रा की अनुमति मिल जाती है लेकिन बस्तर में अपने ही जिले के अंदर 100 किमी की पदयात्रा करने के लिए अनुमति शासन प्रशासन के द्वारा नहीं दिया जाता है। उन्होंने कहा कि मनीष कुंजाम को इसके लिए कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाना पड़ा। लेकिन उसके बाद अनुमति नहीं दिया गया। शासन-प्रशासन दादागिरी में उतारू है। उन्होंने कहा कि देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, केंद्र व राज्य सरकार इन 75 वर्षों के बाद भी आदिवासियों को अपने अधिकार के लिए पैदल मार्च करना पड़ रहा है, जो यह दुर्भाग्य जनक स्थिति है। वर्तमान प्रदेश सरकार पेसा कानून को कमजोर बनाने का काम कर रही है। राज्य सरकार आदिवासियों के हित के विपरीत कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि संविधान को आधार बनाकर आदिवासी अपने हक की लड़ाई लड़ने का हकदार है। लगातार आदिवासियों की आस्था के साथ प्रदेश सरकार खिलवाड़ कर रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।