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Panic Attack: डिप्रेशन से आ रहा पैनिक अटैक, 18 से 24 वर्ष के युवा अधिक पीड़ित

Panic Attack: पैनिक अटैक अब युवाओं में आम समस्या होने लगी है। यह एक तरह का एंग्जायटी डिसऑर्डर है। इसके लक्षण कई बार हार्ट अटैक की तरह होते हैं, जिनमें सांस लेने में तकलीफ, घबराहट, अचानक पसीना आना, धड़कन अनियमित तरीके से तेज होना शामिल है।

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जयपुर

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Nupur Sharma

Sep 16, 2023

youth in depression...युवाओं के ये हालात बेहत घातक

youth in depression...युवाओं के ये हालात बेहत घातक

पत्रिका न्यूज नेटवर्क/जयपुर। Panic Attack: पैनिक अटैक अब युवाओं में आम समस्या होने लगी है। यह एक तरह का एंग्जायटी डिसऑर्डर है। इसके लक्षण कई बार हार्ट अटैक की तरह होते हैं, जिनमें सांस लेने में तकलीफ, घबराहट, अचानक पसीना आना, धड़कन अनियमित तरीके से तेज होना शामिल है। यदि किसी को ये समस्याएं लगातार रहने लगे तो यह गंभीर हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नए आंकड़ों के अनुसार 18 से 24 वर्ष आयुवर्ग के 16.8 प्रतिशत लोग डिप्रेशन के शिकार हैं। जिस कारण उन्हें पैनिक अटैक आने की आशंका बढ़ रही है। पैनिक अटैक न्यूरोसिस ग्रुप की बीमारियों का संकेत देता है। मन में जब तनाव और अनावश्यक विचार अधिक आते हैं तो उसे पैनिक अटैक आता है।

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नौकरी नहीं मिलने पर : वैशाली नगर निवासी 26 वर्षीय युवक 2-3 वर्ष से नौकरी के लिए संघर्ष कर रहा है। इस तनाव में उसे पैनिक अटैक आ गया, जिसे वह पहले हार्ट अटैक समझ रहा था। पैनिक अटैक की पहचान होने के बाद मनो चिकित्सक से उसका इलाज चल रहा है।

पढ़ाई में कम अंक आने पर: मालवीय नगर निवासी 19 वर्षीय युवती को परीक्षा में कम अंक आने के कारण डर और घबराहट हुई। उसके बाद उसे पैनिक अटैक आया। अभी वे दवाई और थेरेपी ले रही हैं।

मन में भावों को दबाने से भी पैनिक अटैक की आशंका रहती है। ज्यादातर युवा नौकरी, पढ़ाई के लिए घरों से दूर रहते हैं। ऐसे में परिवार वालों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों से लगातार संपर्क में रहें, उनकी परेशानी तकलीफ को समझें, ताकि बच्चे भी अपनी बात शेयर करने से न घबराएं। -डॉ. अखिलेश जैन, मनोरोग विभागाध्यक्ष

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पैनिक अटैक बीमारी नहीं है। इस से व्यक्ति के हार्ट पर बुरा असर नहीं पड़ता। यह एक मानसिक विकार है, जो घबराहट और डिप्रेशन से उत्पन्न होता है। इसके लक्षण हार्ट अटैक से मिलते-जुलते होने के कारण कई लोग इसे हार्ट अटैक समझ कर घबरा जाते हैं। जितना ज्यादा व्यक्ति सकारात्मक माहौल में रहता है, तनाव कम लेता है, उतनी ही जल्दी वह ठीक हो सकता है। -डॉ जीएल शर्मा, हृदय रोग विशेषज्ञ