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अस्पताल प्रशासन पर भारी दो दवा दुकानदार

मथुरादास माथुर अस्पताल परिसर में पीछे की तरफ बनी महावीर इंटरनेशनल की धर्मशाला के दो कमरों में 25 साल से संचालित दवाइयों की दो निजी दुकानें अस्पताल प्रशासन के लिए समस्या बन गई हैं।

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avanish kr upadhyay

Jul 16, 2015

मथुरादास माथुर अस्पताल परिसर में पीछे की तरफ बनी महावीर इंटरनेशनल की धर्मशाला के दो कमरों में 25 साल से संचालित दवाइयों की दो निजी दुकानें अस्पताल प्रशासन के लिए समस्या बन गई हैं। तीन दशक पहले अस्पताल प्रशासन ने मरीजों की भलाई के लिए धर्मशाला के कमरों में दवाइयां बेचने की अनुमति दी थी, लेकिन अब जब अस्पताल को खुद को जमीन की जरूरत है, तो दुकानदार जगह खाली नहीं कर रहे हैं।

बीते 10 साल से अस्पताल और महावीर इंटरनेशनल धर्मशाला दोनों ही दुकानदारों को नोटिस थमाए जा रही है। यहां तक कि जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण कुमार पुरोहित ने संभागीय आयुक्त रतन लाहोटी को निरीक्षण के बाद सौंपी अपनी रिपोर्ट में इन दुकानों को अवैध बताया है, बावजूद इसके दुकानदार सरकारी अफसरों पर भारी पड़ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, सरकारी अफसरों पर केबिनेट स्तर के मंत्रियों का दबाव है।

क्या है मामला?
अस्पताल ने 1983 में अपने परिसर के पीछे की जमीन महावीर इंटरनेशनल को धर्मशाला संचालन के लिए दी। उस समय अस्पताल में दवाइयों की दुकानें नहीं थीं, तब अस्पताल प्रशासन ने धर्मशाला के दो कमरों में दवाइयां बेचने की अनुमति दी। ये दो दुकानें खण्डेलवाल मेडिकल हॉल और वर्षा मेडिकल स्टोर हैं।

समय बीतने के साथ अन्य मेडिकल स्टोर संचालकों और आम लोगों ने अस्पताल परिसर में निजी मेडिकल स्टोर का विरोध किया, तो अस्पताल प्रशासन और धर्मशाला ने इसको खाली करने के लिए नोटिस दिए, लेकिन आज तक दोनों ने दुकानें खाली नहीं की।

वर्षा मेडिकल स्टोर 1200 रुपए और खण्डेलवाल मेडिकल हॉल 3000 रुपए किराए के तौर पर धर्मशाला को दे रहा है, जबकि अस्पताल के बाहर खुले निजी मेडिकल स्टोर इस स्थिति में 30 हजार रुपए से लेकर 50 हजार रुपए तक किराया दे रहे हैं। विशेष बात यह है कि धर्मशाला के कमरों के कॉमर्शियल उपयोग का किराया भी अस्पताल प्रशासन की जगह धर्मशाला प्रबंधन ले रहा है।

33 केवी सब स्टेशन कहां लगाएं?
एमडीएम अस्पताल में अब इतनी बड़ी मशीनें और यूनिट्स हो गई हैं कि उनको बिजली की लाइनों से संचालित करना मुश्किल हो रहा है। हाईकोर्ट में लगी एक जनहित याचिका के निर्देश पर सरकार ने अस्पताल में 33 केवी का सब स्टेशन लगाने के लिए 9 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं।

डिस्कॉम ने इसके लिए 35 मीटर गुणा 35 मीटर की जमीन की आवश्यकता जताई, जो अस्पताल के पीछे धर्मशाला के पास ही है। डिस्कॉम ने हाल ही में यहां सब स्टेशन लगाने का काम शुरू किया, लेकिन दवाइयों के दुकानदार ने कोर्ट में रिट लगाकर इसका काम रुकवा दिया। अस्पताल प्रशासन एक बार फिर से बेबस हो गया है।

महावीर इंटरनेशनल भी बेबस (अध्यक्ष जगदीशचंद गांधी से बातचीत)

प्रश्न - आपको धर्मशाला मरीज व परिजनों की भलाई के लिए दिया गया था। आपने उसमें दवाइयों की दुकानें खोल ली?
उत्तर - यह गलत है। धर्मशाला के नक्शे में आज भी दवाइयों की दुकानों के स्थान पर कमरे हैं। हमने तीस साल पहले अस्पताल की अनुमति से दोनों को दवाइयां बेचने की अनुमति दी थी, क्योंकि उस समय अस्पताल में दवाइयों की दुकानें नहीं थीं।

प्रश्न - अस्पताल के नोटिस के बावजूद आप दोनों दुकानें खाली नहीं करवा रहे हो?
उत्तर - हमने खुद ने वर्षा मेडिकल और खण्डेलवाल मेडिकल को दुकानें खाली करने का नोटिस दिया है, लेकिन वे खाली नहीं कर रहे हैं, तो हम क्या करें।

प्रश्न - आपकी धर्मशाला में दुकानें चल रही हैं। आपका दायित्व बनता है कि आप अस्पताल प्रशासन को सहयोग करें?
उत्तर - मैंने यह शिकायत संभागीय आयुक्त से भी कर दी है। अब वे भी दुकानें खाली नहीं करवा पा रहे हैं, तो मैं क्या करू। मैंने जब भी दुकानदारों को दुकानें खाली करने के लिए कहा है, वे मंत्री का पत्र ले आते हैं। इस बार तो एक मंत्री ने यह तक कहा कि जब अस्पताल के बाहर भी लोग दवाई बेच रहे हैं, तो इन दोनों के यहां दवाइयां बेचने में क्या दिक्कत है। मैं तो आज भी दुकानें खाली करवाने के लिए तैयार हूं। सरकारी अफसर गरीबों के ढांचे अतिक्रमण के रूप में उखाड़ते हैं, तो यहां कार्रवाई क्यूं नहीं करते।

अस्पताल अधीक्षक डॉ. दीपक वर्मा बेबस
पिछले कई सालों से इनको दुकानें खाली करने का नोटिस दिया जा रहा है, लेकिन ये टस से मस नहीं हो रहे। मैंने संभागीय आयुक्त रतन लाहोटी के साथ एमआरएस की बैठक में यह बात जोर शोर से उठाई। आरएसएस अधिकारी ने यहां निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट भी उनको सौंप दी, लेकिन दवाइयों की दुकानें वहीं हैं।

ये अब जनता की भलाई का काम रोक रहे हैं। मैं यहां 33 केवी का सब स्टेशन बनाना चाहता हूं और ये लोग कोर्ट में जाकर इसका स्टे ले आए। सरकार ने इसके लिए 9 करोड़ रुपए का बजट दिया है। अब आप ही बताइए, अगर ये सब स्टेशन नहीं बना, तो बजट लेप्स हो जाएगा और वापस इसको लाना आसान काम नहीं है। (जैसा कि इन्होंने पत्रिका संवाददाता को बताया)

खण्डेलवाल मेडिकल हॉल के ओमप्रकाश खण्डेलवाल से बातचीत

प्रश्न - अस्पताल प्रशासन और धर्मशाला दोनों आपको जगह खाली करने के लिए नोटिस दे रहे हैं। हट क्यों नहीं रहे?
उत्तर - मेरे को आज तक किसी का नोटिस नहीं मिला। वैसे मैं केवल धर्मशाला को ही जवाब देने के लिए पाबंद हूं, क्योंकि यह जमीन धर्मशाला की है।

प्रश्न - सरकार ने धर्मशाला को यह जमीन कॉमर्शियल एक्टिविटी के लिए थोड़ी दी है?
उत्तर - यह मुझे पता नहीं।