
जयपुर। गुलाबी नगरी के व्यस्ततम नेहरू बाजार में बीती रात एक बड़ा हादसा होते-होते बचा। पर्यटन सीजन के बीच यहां 4 दुकानों के बाहर का बरामदा ताश के पत्तों की तरह भरभराकर गिर गया। गनीमत रही कि हादसा आधी रात को हुआ, वरना जान-माल का बड़ा नुकसान हो सकता था। लेकिन इस घटना ने नगर निगम की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 4 महीने से दरकते बरामदों की गुहार लगा रहे व्यापारियों की बातों को अनसुना करने का नतीजा मलबे के रूप में सबके सामने आ गया।
यह हादसा अचानक नहीं हुआ, बल्कि लापरवाही का नतीजा है। व्यापारियों ने कई बार निगम को लिखित शिकायत दी। हाल ही में आयोजित 'शहरी समस्या समाधान शिविर' में भी गुहार लगाई, लेकिन 11 दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। व्यापारियों ने बताया कि 4 माह पहले एक दुकान के आगे होल हुआ, जिसमें पानी जाने लगा तो निगम ने मिट्टी के कट्टे डाल दिए। 20 दिन पहले जब बरामदा झुका था, तब निगम अधिकारी यह कहकर चले गए कि 'नींव हिल गई है', पर मरम्मत के नाम पर कुछ नहीं किया।
शनिवार मध्यरात्रि बाद जब पूरा शहर सो रहा था, तब नेहरू बाजार में एक जोरदार धमाका हुआ और पांच दुकानों के बाहर बरामदा गिर गया। घटना के 13 घंटे बाद तक नगर निगम का कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। तब तक बाजार खुल चुका था, लोग मलबे के पास से गुजर रहे थे और दुकानें भी खुल गई थीं। दोपहर सवा दो बजे जब किशनपोल जोन उपायुक्त विजेंद्र सिंह पहुंचे, तब जाकर सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए और आनन-फानन में पास की तीन दुकानों को बंद करवाया गया। दोपहर बाद संसाधन मंगवाकर बरामदे को पूरी तरह गिराया गया और मलबे को हटाना शुरू किया।
Updated on:
28 Dec 2025 08:02 pm
Published on:
28 Dec 2025 07:29 pm
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