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200 यूनिट तक बिजली फ्री हो, पब्लिक ऑडिट कराए सरकार — आप

locationजयपुरPublished: Jul 07, 2021 10:17:18 pm

Submitted by:

Pankaj Chaturvedi

पार्टी ने उर्जा मंत्री को सौंपा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन
 

200 यूनिट तक बिजली फ्री हो, पब्लिक ऑडिट कराए सरकार — आप

सिर्फ वेब के लिए……200 यूनिट तक बिजली फ्री हो, पब्लिक ऑडिट कराए सरकार — आप

जयपुर. आम आदमी पार्टी ने राजस्थान में उपभोक्ताओं को हर महीने 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने और बिजली विभाग के खातों की पब्लिक ऑडिट कराने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन बुधवार को उर्जा मंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला को सौंपा। जिलों में भी ये ज्ञापन जिला कलक्टरों को दिए गए।
पार्टी प्रदेश सचिव देवेन्द्र शास्त्री ने बताया कि राजस्थान में बिजली दरें अन्य राज्यों के मुकाबले काफी ज्यादा है। जबकि प्रति व्यक्ति आमदनी काफी कम है। प्रदेश में पर्याप्त बिजली उत्पादन होने के बावजूद जनता से अधिक दरें वसूलना जायज नहीं है।

ज्ञापन में उठाए ये सवाल
1.बिजली की उपभोक्ता से वसूली जाने वाली दरें और कंपनियों की बिजली खरीद दरें दूसरे राज्यों के मुकाबले ज्यादा क्यों हैं ?
2. पांच तरह के शुल्क (स्थाई शुल्क, फ्यूल चार्ज, विद्युत शुल्क, नगरीय उपकर, अन्य शुल्क) अनावश्यक हैं, इनकी वसूली क्यों की जाती है?
3. अत्यधिक विद्युत छीजत व विद्युत चोरी रोकने मे विफलता का भार आम आदमी पर क्यों डाला जाता है?
4. लाईन मेन्टिनेंस में स्टाफ होते हुए ठेकेदारों से काम कराना कहां तक उचित है?
5. कृषि, व्यवसायिक और साधारण नए कनेक्शन या रि—कनेक्शन में ज्यादा चार्जेज क्यों वसूले जा रहे है ?
6. पुरानी विद्युत लाईनों के बदलने व ट्रांसफार्मर्स लगाने में ठेकेदारों के साथ मिलीभगत क्यों ?
7. नई विद्युत लाईनें बिछाने का खर्च तो जोड़ दिया जाता है किन्तु पुरानी एल्युमिनियम तार व पुराने लोहे के खम्भों के बेचने से होने वाली आय खातों में नदारद रहती है ? ऐसा क्यों?
8. आम जनता से मिलने वाली सौर ऊर्जा की बिजली का कोई भुगतान नहीं करना होता इसके बावजूद घाटा कम क्यों नहीं होता ?
9. आम जनता से वर्ष 2017-18 व 2018-19 मे अतिरिक्त जमानत राशि वसूली गई फिर भी महकमे का घाटा ज्यो का त्यों क्यों है?
10. बिजली कम्पनी की ऑडिट रिपोर्ट में घाटा होने के कारणों पर विस्तृत विवरण क्यों नहीं बताया जाता?
11. बिजली चोरी व खरीद घोटालों के लिए जिम्मेदार अधिकारी / कर्मचारियों की आय व सम्पत्तियों की जाँच क्यों नहीं ?

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