न्यायाधीश बीरेन्द्र कुमार ने सुरेन्द्र सिंह राठौड़ व शशि राठौड़ की याचिका को मंजूर करते हुए यह आदेश दिया। याचिकाकर्ताओं के खिलाफ पिछले साल आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया। प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता दीपक चौहान ने कोर्ट में कहा कि एसीबी ने बिना प्रारम्भिक जांच किए जल्दबाजी में आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया। प्रार्थी वर्ष 2000 में वायुसेना से सेवानिवृत हुआ।
22 साल की गणना एक साथ कैसे?
एसीबी ने 22 साल की आय की एकसाथ गणना की जबकि आय, खर्च व बचत की वर्ष वार गणना की जाती तो दूसरा परिणाम सामने आता। राज्य सरकार व एसीबी की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता डॉ. विभूति भूषण शर्मा ने कहा कि एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारम्भिक जांच जरूरी नहींं है। बिना जांच एफआईआर दर्ज होने पर भी उसे अभियुक्त के कहने से रद्द नहीं किया जा सकता। इस मामले में एसीबी ने केस दर्ज करने से पहले जांच में संज्ञेय अपराध बनना पाया था। कोर्ट ने दोनों पक्ष सुनने के बाद कहा कि एफआईआर से पहले प्रारम्भिक जांच का अपना महत्व है। जहां अधिकारों का मामला हो वहां मामला दर्ज करने से पहले जांच की जानी चाहिए।
यह था मामला
राठौड़ पर रिश्वत मांगने और आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप था। एसीबी ने बाॅयोफ्यूल प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (प्रोजेक्ट) रहते राठौड़ के चेम्बर के बाहर से देवेश शर्मा को पकड़ा और उसके बाद रुपए भी थे। आरोप यह था कि लाइसेंस रिन्यू करने के बदले रिश्वत मांगी गई। सात अप्रेल 22 को शर्मा को पकड़ा और उसी दिन ही राठौड़ के घर की तलाशी ली गई। वहां एसीबी को 3.66 करोड़ रुपए मिले, जिसको लेकर 19 मई 2022 को आय से ज्यादा संपत्ति का मामला दर्ज किया गया।