अभिनेता 'आशुतोष राणा' का कहना है कि यह जगत आपके कद का अंदाजा आपके मित्रों को देखकर नहीं लगाता, बल्कि आपके शत्रुओं को देखकर लगाता है। यह बात हम भगवान श्रीराम के शत्रु रावण से सीख सकते हैं।
रवि शंकर शर्मा। जयपुर। यह जगत आपके कद का अंदाजा आपके मित्रों को देखकर नहीं लगाता, बल्कि आपके शत्रुओं को देखकर लगाता है। यह बात हम भगवान श्रीराम के शत्रु रावण से सीख सकते हैं। रावण की दृष्टि थी कि कभी भी शत्रुता अपने से निम्न स्तर के व्यक्ति के साथ नहीं करनी चाहिए, बल्कि हमेशा अपने से श्रेष्ठ व्यक्ति के साथ करनी चाहिए। रावण ने भी शत्रुता के लिए अपने से श्रेष्ठ व्यक्ति (भगवान श्रीराम) का चुनाव किया था। ये कहना है अभिनेता आशुतोष राणा का।
उन्होंने शनिवार को बिड़ला ऑडिटोरियम में मंचित नाटक 'हमारे राम' में रावण की भूमिका निभाई। राजस्थान पत्रिका से खास बातचीत में राणा ने बताया कि जब हम किसी व्यक्ति को शत्रु की दृष्टि से देखते हैं, तो उसे 360 डिग्री से देखते हैं। ऐसे में हमें उसके गुण और अवगुण दोनों दिखाई देते हैं। लेकिन जब हम मित्र की दृष्टि से देखते हैं, तो कई बार हम उसके गुणों को भी नहीं देख पाते हैं। शत्रु के प्रति क्रोध, शोध और बोध का विषय होता है। रावण शिव भक्त थे। लेकिन छोटी-छोटी गलतियां उसके पतन का कारण बन गई।
रावण को अधिकांश लोग खलनायक के रूप में देखते हैं, आपकी नजरों में रावण क्या है? इसका जवाब देते हुए आशुतोष ने कहा- लोग जीवन में उन्हीं लोगों को पूजनीय मानते हैं, जिन्होंने जीवन में बड़ी-बड़ी बाधाओं पर विजय प्राप्त कर ली है। जो व्यक्ति अपनी वासनाओं पर विजय प्राप्त कर लेता है, तो वह समाज में आदर के और पूजा के योग्य हो जाता है। सब के जीवन में रावण का होना बहुत जरूरी है। ताकि हमारे अंदर सोए हुए राम जाग जाए। राम को जगाने के लिए रावण की उपयोगिता परम आवश्यक है।
फिल्म और थियेटर में बहुत अंतर होता है। फिल्म रिलीज होने के बाद उसमें कुछ भी परिवर्तन नहीं कर सकते हैं। लेकिन थियेटर में जब भी कोई शो करते हैं, तो वह हर बार अलग और नया होता है। चाहे डायलॉग पुराने हो सकते हैं लेकिन शो नया होगा। इसके लिए प्रत्येक पल तैयार होने की आवश्यकता रहती है। हर शो के लिए बहुत मेहनत करनी होती है।
शो में आवाज की बहुत बड़ी भूमिका रहती है। ऑडियंस तक आवाज पहुंचाने के लिए खुद को पहले से तैयार करना होता है। अभिनय उसी किरदार का सराहा जाता है। जिसके शब्द दिखाई दें और सन्नाटे सुनाई पड़ें। लाइव में ये नहीं देखा जाता कि आप बीमार हैं। बीमार भी हो तो दर्शकों को नहीं लगना चाहिए। दर्शकों तक कला पहुंचनी चाहिए।
हां, फरवरी 2025 में हमने लगातार करीब 16 शो किए थे। इस दौरान बीमार हो गया था। तब तीन दिन लगातार ड्रिप लगी थी। तब भी अभिनय किया था। हनुमान का किरदार निभाने वाले कलाकार को डेंगू हो गया था।
नाटक 'हमारे राम' का हम देश के कई शहरों में शो कर रहे हैं। ऐसे में हमारे साथ करीब 122 लोगों की टीम काम कर रही है।
शिव भक्ति सब के जीवन में है। कुछ लोग शिव को चाहते हैं, तो कुछ लोग शिव से चाहते हैं। ऐसे में मैं शिव को चाहने वाली श्रेणी में हूं। शिव ने मुझे बिना मांगे बहुत कुछ दिया है। पहचान और अस्तित्व को बहुत विस्तारित कर दिया।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन-दर्शन पर आधारित ‘रामराज्य’ नाम की किताब लिखी थी, जो 2019 में प्रकाशित हुई थी। तब लगा था कि रावण का किरदार करना ही है।
अभिनय के समय भाषा बहुत महत्वपूर्ण होती है। किरदार के बीच संवाद ऐसे हो जो लोगों को समझ आ जाएं। काव्य शैली में संवाद बोले जाते हैं। भाषा का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है।
इस नाटक में रावण का किरदार निभा रहा हूं, तो 32 किलो का कॉस्ट्यूम/परिधान तो पहनना ही होगा। इसके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार रहना होता है।
करीब 3 घंटे अभिनय, आवाज और 32 किलो का कॉस्ट्यूम, इनके लिए आपमें इतनी ऊर्जा कहां से आती है?
जो अभिनय कराता है, वही मुझे ऊर्जा देता है। जब ऐसा किरदार करते हैं तो ऊर्जा भी परमात्मा ही देता है।
जयपुर भारतवर्ष का बहुत अद्भुत और सुंदर शहर है। यदि किसी को भारत की परंपरा के दर्शन करने हो, सस्त्र-शास्त्र और वीरता देखनी हो तो राजस्थान आइए। यहां के किले आज भी छुने पर हजारों वर्ष पहले के इतिहास से रूबरू कराते हैं।
नाट्य धर्म सिर्फ हमारा प्रोफेशन नहीं है, बल्कि ये बेहतर मनुष्य बनाने में भी काफी मददगार साबित होता है। नाट्य शास्त्र को पांचवा वेद कहा गया है।