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जयपुर के थिएटर आर्टिस्ट अमित बिमरोट ने किया फिल्म ‘रेड’ से बॉलीवुड डेब्यू

कॉलेज के बाहर बैंच पर बीता वक्त है याद

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World Theater Day

जयपुर . आज वर्ल्ड थिएटर डे है और पत्रिका प्लस इस खास मौके पर यंग एक्टर अमित बिमरोट का एक एेसा इंटरव्यू प्रस्तुत कर रहा है। जयपुर से थिएटर करने के बाद एफटीआइआइ में टॉप रैंक के साथ एक्टिंग की डिग्री हासिल की और अब 'रेड' फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू हुआ है। पेश है, अमित के इंटरव्यू की कहानी, उन्हीं की जुबानी।

अलवर से ग्रेजुएशन करने के लिए कॉमर्स कॉलेज में एडमिशन लिया और यहां गलत संगत के चलते पहले साल ही फेल हो गया। स्कूल टाइम के गोल्ड मैडलिस्ट स्टूडेंट्स का यूं फेल होना, मेरे लिए सबक की तरह था। इसी के चलते हॉस्टल से भी निकाल दिया गया। एेसे समय में मैंने थिएटर से जुडऩा तय किया और डायरेक्टर साबिर खान के निर्देशन में वर्कशॉप से जुड़ गया।

इस दौरान हॉस्टल में ही कुछ दिन रूकने के लिए रात 12 बजे बाद एंट्री लेता और सुबह 4.30 बजे वापिस बाहर निकल जाता। इसके बाद का पूरा वक्त कॉमर्स कॉलेज के बाहर लगे एक बैंच पर गुजरता। यह सबसे कठिन दौर था, जब मेरे पास दो टाइम के खाना खाने के भी पैसे नहीं होते थे। दिन में जेकेके के सामने ब्रेड पकौड़े खा लिया करता था और इसी से पूरे दिन गुजारा करता था। यह संघर्ष पूरे वर्कशॉप चला और इसका किसी को पता नहीं चलने दिया। थिएटर करते वक्त ही एफटीआइआइ में जाने लक्ष्य बनाया और इसके लिए 10 घंटे वल्र्ड सिनेमा की पढ़ाई करता। सिर्फ दो घंटे ही सो पाता था, बाकि का सारा वक्त एकेडमिक्स की पढ़ाई और थिएटर व फिल्म इंस्टीट्यूट की तैयारी में चला जाता।

स्ट्रगल, डिप्रेशन और नेगेटिविटी से दूर

जयपुर में रहते हुए जमकर थिएटर में काम किया, हर समय क्रिएटिव सोच के साथ मंच पर परफॉर्म करता। थिएटर की बदौलत ही मेरे जीवन में पॉजिटिविटी की एंट्री हुई और मेरे शब्दकोश से 'स्ट्रगल' 'डिप्रेशन' और 'नेगेटिविटी' जैसे शब्द मिट गए। फिल्म इंस्टीट्यूट में मेरे थिएटर के अनुभवों को सराहा गया, इसी के चलते टॉप रैंक हासिल हुई। कॉन्फिडेंस के साथ मुम्बई पहुंचा और एफटीआइआइ के अनुभवों के साथ फिल्म मेकिंग, राइटिंग और एक्टिंग जैसी विधाओं में अलग-अलग रूप से काम करने लगा। इस दौरान समस्याएं भी आई, लेकिन पीछे मुडऩे का सवाल नहीं किया।

पिता ने डेढ़ साल बात नहीं की

मध्यमवर्गीय परिवार से होने के चलते सभी मेरे सरकारी अफसर बनने के सपने देखा करते थे। पिता रेलवे में जॉब करते थे और मुझे सिविल ऑफिसर बनने के प्रेरित करते। उनकी बात न मानकर मैंने मुम्बई में एक्टिंग जारी रखी, उस दौरान करीब डेढ़ साल उन्होंने बातचीत बंद कर दी। विराट कोहली , सचिन तेंदुलकर के साथ एड फिल्म में देखने के बाद भी मेरे कॅरियर को लेकर खुश नहीं थे। 'रेड' फिल्म के रेस्पॉन्स से पैरेंट्स खुश हैं। हाल ही अलवर में एक स्पेशल स्क्रीनिंग हुई थी, जिसमें वहां के कलेक्टर से लेकर एसपी सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे और मेरी एक्टिंग की सराहना कर रहे थे। इसे देख पिता काफी खुश थे।