लक्षण: शरीर में सायनाइड की मात्रा बढऩे से पशु बेचैन रहता है। मुंह से लार निकलती है। सांस लेने में कठिनाई होती है।
यूरिया विषाक्तता: सूखे एवं रेशेदार चारे में कई बार यूरिया की मात्रा अधिक होती है। हरे चारे एवं दाने की कमी के कारण मजबूरी में सूखा चारा ही खिलाना पड़ता है। इससे पशु के शरीर में यूरिया की विषाक्तता बढ़ जाती है।
लक्षण: पशु सुस्त हो जाता है। मुंह से ज्यादा लार टपकती है। आफरा आ जाता है।
नाइट्रेट विषाक्तता: खेत में नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का अधिक उपयोग करने से मक्का, जई एवं सूड़ान घास में नाइट्रेट की मात्रा बढ़ जाती है।
लक्षण: अधिक नाइट्रेट वाला चारा खाने से पशु की सांस एवं नाड़ी दर बढ़ जाती है। रक्त का रंग चॉकलेटी एवं भूरा हो जाता है। इसके लिए सावधानी बरतनी जरूरी है।