
महिला चिकित्सालय स्थित आईवीएफ सेंटर में स्टाफ
देवेंद्र सिंह राठौड़/जयपुर। मैं देश की सरहद पर तैनात हूं। पता नहीं कब दुश्मन की गोली मेरे शरीर से आर-पार हो जाएं और मैं शहीद हो जाऊं। मेरी मौत के बाद मेरे परिवार को आगे बढ़ाने वाला भी कोई होना चाहिए...। इसलिए साब जी, स्पर्म(शुक्राणु) फ्रीज करवाने आया हूं। राजधानी के सरकारी व निजी आईवीएफ सेंटर पर आए दिन ऐसा सुनने को मिल रहा है। क्योंकि इन आईवीएफ सेंटरों पर इंडियन आर्मी, एयरपोर्ट, नेवी व मर्चेन्ट नेवी के जवान, अफसर स्पर्म(शुक्राणु) फ्रीजिंग करवा पहुंच रहे हैं।
सांगानेरी गेट स्थित महिला चिकित्सालय में अब तक 15 पुरुषों ने स्पर्म (शुक्राणु) फ्रीज करवाए हैं। जिनमें 40 फीसदी सेना से जुड़े लोगों ने करवाएं हैं। इनमें सबसे ज्यादा इंडियन आर्मी में अफसर, जवान शामिल है। जो जम्मू कश्मीर, लेह लद्दाख या नक्सली इलाकों के अलावा बॉर्डर इलाके में दुश्मन को आंख दिखा रहे हैं और उन्हें परिवार की भी चिंता कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि आर्मी अस्पताल में भी स्पर्म फ्रीजिंग होती है। वहां भी कई सैनिक-जवानों ने स्पर्म फ्रीज करवा चुके हैं।
जरूरी टेस्टिंग पूरी होने के फ्रीजिंग
महिला चिकित्सालय स्थित आईवीएफ सेंटर की नोडल अधिकारी व इंचार्ज डॉ. अनिता शर्मा ने बताया कि जिस व्यक्ति को स्पर्म फ्रीजिंग करवानी होती है, वे स्पर्म का सैंपल देते हैं। जरूरी टेस्टिंग के बाद स्पर्म के सैंपल को लिक्विड नाइट्रोजन में माइनस 179 डिग्री सेल्सियस तापमान में सुरक्षित रखा जाता है। दस साल तक जब जरूरत हो तब स्पर्श को गर्भधारण करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। सह आचार्य डॉ. ममता मीणा ने बताया कि कई सैनिकों की पत्नियों का भी यहां इलाज चल रहा है। उनके पति सीमाओं पर रहने की वजह से बार बार आ नहीं सकते इसलिए उनका भी सैंपल लेकर रखते हैं।
इसलिए करवा रहे फ्रीजिॆग
अगर कोई कपल देरी से संतान चाहता है तो वह पहले ही स्पर्म को फ्रीज करा लेता है, ताकि बाद में कोई परेशानी न हो। सैनिक ऐसा इसलिए कराते हैं क्योंकि उनका जीवन में काफी अनिश्चितता होती है. जान को खतरा भी होता है. इस प्रक्रिया के जरिए वे अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ा सकते हैं। रूस व यूक्रेन के सैनिकों ने किया है। वहां की सरकार भी इसमें उनकी मदद कर रही है।
सुविधा नि:शुल्क पर बेवजह नहीं रखते
-कोई भी हर व्यक्ति के स्पर्म फ्रीजिंग करवाने की सुविधा नि:शुल्क है लेकिन इसे करवाने की वजह स्पष्ट होनी चाहिए। बेवजह नहीं रख सकते हैं। स्पर्म फ्रीजिंग की अधिकतम अवधि भी दस साल तय है। विशेष परिस्थिति में नेशनल बोर्ड से स्वीकृति लेकर इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
-डॉ. आशा वर्मा, अधीक्षक, महिला चिकित्सालय, सांगानेरी गेट
विज्ञान का इस्तेमाल कर परिवार को संबल देने के लिए यह अच्छी पहल है। सेना के जवान देशहित के साथ परिवार को आगे बढ़ाने के लिए भी सोच रहे हैं। सेना की नौकरी में कोई न कोई दुर्घटनाएं या शहीद होने की संभावनाएं रहती है। ऐसे में यह अवसाद में उम्मीद की तरह है। लेकिन ध्यान रहे यह नियम नहीं है। इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि यह सुविधा किसी महिला की स्वतंत्रता में बाधा नहीं बने। इसके लिए महिलाओें की रजामंदी जरूरी है।
डॉ मोनिका राव सहायक आचार्य समाजशास्त्र विभाग राजस्थान विश्वविद्यालय
Published on:
31 Jul 2023 03:09 pm
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