इस प्रकरण में एटीएस (
ATS ) ने जेकेके आईएएस अधिकारी सहित करीब 100 अधिकारी और कर्मचारियों को संदेह के दायरे में लिया है, लेकिन अनुच्छेद 370 के तहत जेकेके में इंडियन पैनल कोड (आईपीसी) की जगह रणबीर पैनल कोड (
ranbir penal code ) (आरपीसी) के चलते एटीएस संदिग्ध अधिकारी-कर्मचारी को गिरफ्तार करना तो दूर अभी तक उनसे पूछताछ भी नहीं कर पाई है। एटीएस का कहना है कि जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटने के बाद फर्जी हथियार लाइसेंस प्रकरण में वांछित सरकारी कारिंदो को गिरफ्तार करने की तैयारियां शुरू कर दी गई है।
वर्ष 2017 में दर्ज हुआ था मामला एटीएस ने 11 सितंबर 2017 में जम्मू-कश्मीर से जारी हुए हथियारों के फर्जी लाइसेंस के मामले में मुकदमा दर्ज किया था। एटीएस की जांच में सामने आया कि जम्मू कश्मीर में सैन्यकर्मियों के फर्जी आईडी के जरिए लाइसेंस बेचने का बाकायदा धंधा बना लिया था। गिरोह ने जम्मू कश्मीर अलावा राजस्थान ( Rajasthan ), मध्यप्रदेश, गुजरात, पंजाब और हरियाणा के लागों को जमकर फर्जी हथियार लाइसेंस बेचे थे।
50 से 80 लाख रुपए में बेचा लाइसेंस
एटीएस का कहना है कि जम्मू कश्मीर में सक्रिय अंतरराज्जीय गिरोह ने देशभर में सैंकड़ों फर्जी हथियार लाइसेंस बेचे हैं। गिरोह ने खरीददार की हैसियत के हिसाब से उनसे दाम वसूले। एक फर्जी लाइसेंस 50 लाख से लेकर 80 लाख रुपए में बेचे गए हैं।
राजस्थान से हो चुके हैं 46 गिरफ्तार
फर्जी हथियार लाइसेंस मामले में एटीएस ने अभी तक सबसे ज्यादा राजस्थान से ही गिरफ्तारी की है। इस मामले में राजस्थान से 46, मध्यप्रदेश से दो, पंजाब से दो, हरियाणा और गुजरात से एक-एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है।
एक माह तक डाला था पड़ाव
फर्जी हथियार लाइसेंस जम्मू कश्मीर से ही जारी किए गए थे। जिसके चलते संदेह के दायरे में आए जम्मू कश्मीर के करीब 100 अधिकारी और कर्मचारियों से पूछताछ करने के लिए एटीएस के तत्कालीन एसपी विकास कुमार की अगुवाई में दल ने करीब एक माह तक कश्मीर में पड़ाव डाले रखा, लेकिन वहां के सरकारी कारिंदों ने आरपीसी का हवला देते हुए दल को साफ कह दिया था कि जम्मू कश्मीर में भारतीय कानून नहीं चलता, जिसके चलते आरोपियों को गिरफ्तार करना तो दूर एटीएस का दल उनसे पूछताछ भी नहीं कर पाया था। एटीएस का दल केवल जम्मू कश्मीर से केवल उन तीन आरोपियों को ही गिरफ्तार कर पाया, जिन्होंने गिरोह से फर्जी लाइसेंस खरीदे थे।
क्या था रणबीर पैनल कोड अनुच्छेद 370 के चलते देश मे अकेला जम्मू-कश्मीर ही एक ऐसा राज्य था, जहां भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) लागू थी। जेके में यह कानून ब्रिटिश काल से ही लागू था, जिसकी आड़ लेकर जम्मू कश्मीर के भ्रष्ट सरकारी कारिंदे अन्य राज्यों की पुलिस को वहां फटकने भी नहीं देती थी। हां वांछित सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया जाएगा।
ले रहे हैं कानूनी राय
अनुच्छेद 370 हटने के बाद फर्जी हथियार लाइसेंस प्रकरण में वांछित जेके के सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों को गिरफ्तार करने के मामले में कानूनी राय ली जा रही है। इसके बाद एटीएस के दल को आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए जेके भेजा जाएगा।
अनिल पालीवाल (एडीजी, एटीएस-एसओजी)