
जयपुर
(ADJ No. 3 )एडीजे कोर्ट नंबर 3 (Jaipur Metropolitan) जयपुर महानगर ने कहा है कि (Released On Bail)जमानत पर चल रहे (accused) आरोपी को (re-investigation) पुन:अनुसंधान में (Non bailable) गैर-जमानती (crime) अपराध का (accused) दोषी पाया जाने पर उसे (arrest) गिरफ्तार करने से पहले उसकी (Bail cancellation) जमानत निरस्त करवाना जरुरी है। एडीजे कौशलसिंह ने यह निर्देश डॉ.प्रियंका बुरडक व दो अन्य की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिए। एडवोकेट हेमंत गजराज ने बताया कि प्रार्थिया का अपने पति से विवाद चल रहा है। इस संबंध में उसने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज प्रताडना के आरोप में एफआईआर दर्ज करवाई थी। पति पति की महिला मित्र ने उसके व उसके परिजनों के खिलाफ घर में जबरन घुसकर मारपीट के आरोप में करणी विहार थाने में एफआईआर करवाई थी। पुलिस ने अनुसंधान में उन्हें धारा 143,323 और 341 के तहत मारपीट आदि का दोषी माना। यह अपराध जमानती होने से पुलिस ने थाने पर ही जमानत देकर मुचलके भरवा लिए थे।
इसके बाद प्रार्थिया के पति की महिला मित्र की अर्जी पर पुलिस ने मामले में दुबारा अनुसंधान करवाया और प्रार्थिया व उसके परिजनों को आईपीसी की धारा-452 और 354 के तहत प्रथमदृष्टया दोषी माना। इसके बाद पुलिस ने झुन्झुनू रह रही प्रार्थिया व उसके परिजनों को गिरफ्तार करने के लिए दबाव बनाना शुरु कर दिया। इस पर अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र दायर किए गए। कोर्ट ने प्रार्थना पत्र खारिज करते हुए कहा है कि तीनों पहले से ही जमानत पर हैं। पुलिस को पहले कोर्ट से जमानत निरस्त करवानी होगी। इसके बाद ही पुलिस सुप्रीम कोर्ट के अरनेश कुमार मामले में दिए निर्देश के अनुसार धारा—41 के नोटिस देकर अग्रिम कार्रवाई कर सकेगी।
Updated on:
13 Jun 2020 08:25 pm
Published on:
13 Jun 2020 06:24 pm
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