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भांकरोटा हादसे की पहली बरसी: 20 जिंदगियां लेने वाला कट तो बंद हो गया… चालू क्यों था? इसका जिम्मेदार आज तक तय नहीं

Bhankrota Tragedy First Anniversary: एक साल पहले यानी 20 दिसंबर 2024 को जिस सड़क ने आग उगली थी, वहां किसी का हाथ बचा था तो किसी के पैर पड़े थे।

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भांकरोटा हादसे की पहली बरसी। फोटो: रघुवीर सिंह पत्रिका

जयपुर। अजमेर रोड पर वह जगह आज भी खामोशी से चीखती है। एक साल पहले यानी 20 दिसंबर 2024 को जिस सड़क ने आग उगली थी, वहां किसी का हाथ बचा था तो किसी के पैर पड़े थे। लोग अपनों को कट्टों और गांठों में बांधकर ले जा रहे थे। वाहनों के सिर्फ ढांचे ही बचे थे। एक-एक कर दिन गुजरते गए और आज एक साल हो गया। पास के खेत में पड़े जले हुए वाहन आज भी घावों को ताजा कर रहे हैं। आज मैं नि:शब्द हूं… जहां गैस टैंकर और ट्रक की टक्कर ने पल भर में 20 जिंदगियां निगल लीं और 30 से ज्यादा लोगों को जीवनभर के जख्म दे दिए। वहां वक्त मानो ठहर गया है। दर्द, डर और दहशत आज भी जस की तस हैं।

पत्रिका टीम जब एक साल बाद उसी स्थान और मृतकों के घरों तक पहुंची, तो सामने आई कहानियां दिल चीर देने वाली थीं। किसी घर में अब भी पिता की कुर्सी खाली है, तो कहीं मां हर शाम बेटे के मोबाइल पर आई आखिरी कॉल को देख रो पड़ती है। बच्चों के सवाल आज भी वही हैं..“पापा कब आएंगे?” जवाब किसी के पास नहीं। सबसे चौंकाने वाली तस्वीर सड़क पर खड़ी जली हुई गाड़ियां हैं- सिस्टम को चिढ़ाती हुई, प्रशासन की संवेदनहीनता पर सवाल खड़े करती हुई। एक साल में न तो हादसे के घाव भरे, न जिम्मेदारी तय हुई।

सिस्टम पर सवाल

हादसे के बाद रोड कट बंद कर दिया गया, लेकिन यह तय नहीं हो सका कि वह खुला किसकी लापरवाही से था। पुलिस जांच में चालक और बस मालिक की लापरवाही सामने आई, लेकिन रोड इंजीनियरिंग की खामियों पर कोई जिम्मेदारी तय नहीं हुई।

हकीकत

-अवैध कट आज भी कई हाईवे पर मौजूद।
-ओवरलोड और खड़े वाहनों पर अभियान नहीं।
-कमेटियों की सिफारिशें फाइलों में बंद।

हाईवे की खामियां चिह्नित, जिम्मेदारी तय नहीं…

हादसे का जिम्मेदार रोड कट माना गया। बाद में उसे बंद कर दिया गया, लेकिन इसके बाद सभी हाईवे पर इस तरह का कोई अभियान नहीं चलाया गया। अजमेर रोड पर जिस कट के कारण हादसा हुआ, उसके लिए जिम्मेदार कौन था- यह आज तक तय नहीं हो पाया। हाईवे पर ट्रकों की भिड़ंत में गैस सिलेंडर फटने के एक अन्य मामले के बाद जिला कलक्टर की जांच समिति ने अवैध पार्किंग और ओवरलोड वाहनों को भी हादसों का जिम्मेदार माना था, लेकिन आज भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।

क्या हुआ कमेटियों के इन सुझावों का

-रासायनिक, गैस, डीजल, पेट्रोल एवं ज्वलनशील/विस्फोटक पदार्थों का राष्ट्रीय राजमार्गों पर संचालन सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक किया जाए।
-घनी आबादी वाले क्षेत्रों में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ही संचालन हो।
-राष्ट्रीय राजमार्ग की परिधि में होटल-ढाबों पर अनाधिकृत रूप से खड़े वाहनों को हटाने के लिए पुलिस, एनएचएआइ और परिवहन विभाग का संयुक्त अभियान चले।
-अभियान चलाकर सभी अवैध कट बंद किए जाएं। गैस वाहनों को सड़क किनारे सुरक्षित स्थानों पर ही खड़ा करने के निर्देश दिए जाएं।

पुलिस अनुसंधान में सामने आए तथ्य

-हादसे का मुख्य कारण कंटेनर और गैस टैंकर चालक की लापरवाही मानी गई। दोनों ही तेज रफ्तार में थे और यातायात नियमों का पालन नहीं कर रहे थे।
-घटनास्थल पर आग की चपेट में आई स्लीपर बस में इमरजेंसी गेट नहीं था, जिससे सवारियां बाहर नहीं निकल सकीं और जलने से उनकी मौत हो गई। इसके लिए बस मालिक को दोषी माना गया।
-अजमेर रोड पर डीपीएस कट और रोड इंजीनियरिंग की खामियों को लेकर किसकी लापरवाही थी, इस निष्कर्ष पर पुलिस नहीं पहुंच सकी।

सुधारात्मक कदम उठाए

कमेटी की रिपोर्ट के बाद अवैध रोड कट बंद करने, संकेतक लगवाने समेत अन्य सुधारात्मक कदम उठाए गए। एनएचएआइ की अधिकारी का स्थानांतरण किया गया। पेट्रोलियम कंपनियों को अनियमितताओं पर नोटिस जारी किए गए। ट्रैफिक पुलिसकर्मी नियु€त किए गए। हादसों के कारणों के आधार पर काफी सुधारात्मक कदम उठाए गए।
-युगान्तर शर्मा, एडीएम साउथ

चार्जशीट पेश की

अजमेर रोड पर टैंकर से गैस लीक होने के बाद हुए अग्निकांड के मामले में विभिन्न पहलुओं की प्रारंभिक जांच के बाद चार्जशीट पेश की जा चुकी है। हादसे के कुछ प्रमुख बिंदुओं पर जांच बाकी है, जिसे पूरा कर जल्द संपूर्ण चार्जशीट पेश की जाएगी।
-हनुमान प्रसाद मीणा, डीसीपी वेस्ट