
जयपुर। चिकित्सा विभाग की लापरवाही और डॉक्टर की कारगुजारी का एक बड़ा मामला सामने आया है। भरतपुर के एक डॉक्टर ने विभाग की महत्वपूर्ण ट्रेनिंग से बचने के लिए अपने मृत पिता को ही कैंसर पेशेंट बता दिया। विभाग ने उनकी बात पर यकीन कर 'मानवीय' आधार पर कह दिया कि ठीक है, तुम ट्रेनिंग में मत आना। मामला भरतपुर के जिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर मोरध्वज सिंह से जुड़ा है। उन्हें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने 12 दिन की ट्रेनिंग के लिए चुना था, लेकिन डॉ. मोरध्वज ने विभाग के निदेशक आरसीएच डॉ. एसएम मित्तल को सूचित किया कि उनके पिता को प्रोस्टेट का कैंसर है, जो भरतपुर के निजी अस्पताल में भर्ती हैं। इस पर निदेशक आरसीएच ने मानवीय आधार पर निर्णय के लिए मामला उच्चाधिकारियों के पास भेज दिया।
शिकायत हुई तो खुला मामला
एनएचएम के मिशन निदेशक नवीन जैन के पास डॉक्टर मोरध्वज की शिकायत पहुंची और जांच कराई गई तो मामले का खुलासा हुआ। प्रकरण की गंभीरता देखते हुए मोरध्वज को मंगलवार को ही जयपुर तलब कर लिया गया, जहां डॉक्टर ने माफी मांगी। सूत्रों के अनुसार विभाग अब मामले की विस्तृत जांच कराएगा। इसमें ट्रेनिंग में नहीं आने की मंशा और कारण भी खंगाले जाएंगे।
डॉक्टर को मानवीय आधार पर ट्रेनिंग में नहीं आने की छूट दी थी। बाद में पता चला कि उसने मृत पिता को कैंसर बताकर छूट पा ली थी। उसे जयपुर बुलाकर पाबंद किया है।
- नवीन जैन, मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन।
डाॅक्टरों से जुड़े आैर भी हैं मामले
हाल ही एसएमएस अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. जीएस कालरा के निजी अस्पताल में जाकर मरीज का ऑपरेशन करने का मामला सामने आया था। मरीज की मौत होने के बाद परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाया तो मामला खुला था। इससे पहले भी ऐसे कई मामले उजागर हो चुके हैं लेकिन विभाग मौन है।
Published on:
06 Sept 2017 10:33 am
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
