
जयपुर। वित्तीय वर्ष खत्म होने में 22 दिन शेष हैं, ऐसे में गांवों में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में 25 दिन का अतिरिक्त रोजगार देने की राज्य सरकार की कानूनी गारंटी पूरी होने पर संशय है। वहीं, पंचायत से शहरी निकाय बने 42 क्षेत्रों में लोगों की हालत आसमान से गिरे खजूर में अटके जैसी हो गई है, उन्हें महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी (मनरेगा) में काम मिल नहीं रहा और शहरी रोजगार गारंटी योजना में काम अभी शुरू नहीं हुए हैं।
न्यूनतम आय की गारंटी कानून में 6 माह पहले लोगों को गांवों में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत मनरेगा से अतिरिक्त 25 दिन के रोजगार और शहरी रोजगार गारंटी योजना में 125 दिन के रोजगार की गारंटी मिल गई, लेकिन कानून के अंतर्गत नियम नहीं बनने से इन योजनाओं में काम मिलने की गांरटी अधर में है।
वजह, नियम नहीं बनने से यह तय नहीं हो पाया है कि कानून में दी गई गारंटी पूरी नहीं होने पर लोग शिकायत लेकर जाएं कहां? पड़ताल में सामने आया कि वित्त विभाग में नियम प्रक्रियाधीन हैं, ग्रामीण विकास विभाग गांवों में मनरेगा के अतिरिक्त 25 दिन का रोजगार देने की योजना की समीक्षा कर रहा है।
राजस्थान में पंचायत से शहरी निकाय बने 42 क्षेत्रों में पिछले साल आचार संहिता से पहले मनरेगा में काम मिलना बंद हो गया, जबकि शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू करने की अभी प्रक्रिया शुरू हुई है। इन 42 शहरी निकायों में शहरी रोजगार गारंटी योजना में अभी काम मिलना शुरु नहीं हुआ है। आने वाले दिनों में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने वाली है, ऐसे में इन सभी कार्यों में आचार संहिता भी अड़चन बनकर लोगों की परेशानी बढ़ा सकती है।
नियमों में यह तय होगा
- काम के घंटे और कार्य के लिए आवश्यक परिस्थितियां
- मजदूरी भुगतान की प्रक्रिया
- बेरोजगारी भत्ता और उसे प्राप्त करने की प्रक्रिया
नियम नहीं बनने से न्यूनतम आय की गारंटी अधिनियम व्यावहारिक तौर पर लागू नहीं हो पाया है। अभी न काम मिलने की प्रक्रिया तय है और न मुआवजे की प्रक्रिया तय है।
- मुकेश गोस्वामी, प्रतिनिधि, रोजगार एवं सूचना का अधिकार अभियान
Published on:
09 Mar 2024 09:12 am
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