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सबको साथ लेकर चलने की नीति पर चलने लगी भाजपा

  पहली सूची का विरोध देख आलाकमान ने किया रणनीति में बदलाव

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सबको साथ लेकर चलने की नीति पर चलने लगी भाजपा

भाजपा केन्द्रीय चुनाव समिति की तस्वीर, जिसमें मौजूद हैं पीएम मोदी और राजस्थान के नेता

जयपुर।
भारतीय जनता पार्टी ने पहली सूची के बाद हुई बगावत के बाद बदली हुई रणनीति पर काम किया है और इसका असर दिखा दूसरी सूची में। दूसरी सूची में अब तक साइडलाइन किए गए सभी नेताओं और उनके समर्थकों को टिकट दे यह संदेश दिया है कि पार्टी ने किसी के लिए सभी महत्वपूर्ण है। पार्टी ने यही रणनीति छत्तीसगढ और मध्यप्रदेश में भी अपनाई है।


भाजपा की दूसरी सूची के ये निकल रहे मायने

— गुजरात मॉडल लागू नहीं हो सका। गुजरात में सीएम रह चुके विजय रूपाणी सहित बडे नेताओं के टिकट काट दिए थे, लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं हो पाया।

— सूची में कर्नाटक—हिमाचल की हार का भी असर दिखा। इसके चलते पार्टी दूसरी सूची में प्रयोग से बची।

— पहली सूची की बगावत का असर दिखा, 83 की सूची में एक भी सांसद का नाम नहीं दे पार्टी ने स्थानीय नेताओं को तवज्जो दी। पहली सूची में सात सांसदों को दिए थे टिकट।

- लम्बे समय से जीतते आ रहे विधायकों पर भरोसा जता उन्हें चुनाव मैदान में उतारा।
— दूसरी सूची में वसुंधरा राजे गुट को मिला महत्व, हालांकि सूची में सभी बडे नेताओं के नजदीकीयों को समायोजित किया गया।
— पहली सूची से नाराज संघ समर्थकों को भी मिले टिकट। ऐसा कर संघ की नाराजगी को दूर करने की कोशिश। संघ ने जिसका विरोध किया, उसका टिकट भी काटा।
— नरपत सिंह राजवी का को टिकट दे दिवंगत भैरों सिंह शेखावत के परिवार का भी रखा सम्मान।

भाजपा की सूचियों का गणित

- भाजपा ने जारी की 83 प्रत्याशियों की सूची, अब तक कुल 124 नाम जारी

- भाजपा में शामिल हुए विश्वराज सिंह और ज्योति मिर्धा को भी चुनाव मैदान में उतारा

- दूसरी सूची में 10 महिला प्रत्याशी

- 9 चेहरे पहली बार भाजपा से विधायक का लड़ेंगे चुनाव

- 9 में से 7 तो विधायक का पहली बार लड़ेंगे चुनाव

- दूसरी सूची में भी किसी मुस्लिम को टिकट नहीं

- पहली सूची की बगावत का असर, पुराने चेहरे रिपीट, सांसदों से दूरी