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दिल्ली सरकार ने कैब कम्पनी, फूड डिलीवरी व ई-कॉमर्स कम्पनियों के वाहनों के लिए मोटर व्हीकल एग्रीगेटर नीति बनाई है। नीति का मसौदा जारी कर दिया है। इसके तहत इन कम्पनियों के वाहनों को अप्रेल 2030 तक अपने बेड़े (फ्लीट) में केवल इलेक्ट्रिक वाहन ही रखने होंगे। साथ ही किराए को लेकर भी नियम बना दिए गए हैं। वहीं प्रदेश में कैब के लिए न तो किराया तय है और न ही कोई अन्य नियम। पीक ऑवर्स में कैब चालक लोगों से मनमाना किराया वसूल रहे हैं। एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन से शाम के समय लोगों से दो-तीन गुना किराया वसूल किया जा रहा है। परिवहन विभाग के अधिकारी सब देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं।
छह साल पहले मसौदा बनाया
प्रदेश में परिवहन विभाग ने साल 2016 में कैब संचालन के लिए नीति तैयार की थी। ड्राफ्ट बनाया, जारी भी किया गया लेकिन अंतिम नीति छह साल बाद भी जारी नहीं हो पाई। उस ड्राफ्ट में कैब कम्पनियों के राज्य में रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया था। ड्राइवर के लिए भी नियम-कायदे बनाए गए। हालांकि, उसमें भी किराया तय नहीं किया गया था।
दिल्ली सरकार की मोटर व्हीकल एग्रीगेटर योजना
कैब, शॉपिंग कम्पनियों को केवल इलेक्ट्रिक व्हीकल का इस्तेमाल करना अनिवार्य। जिन ड्राइवरों के खिलाफ 15 प्रतिशत से ज्यादा शिकायत दर्ज हैं, उन पर कार्रवाई करनी होगी। कैब कम्पनियों को छह महीनों के भीतर तिपहिया वाहनों के बेड़े में 10 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन शामिल करने होंगे।
मनमाना किराया वसूल रहे
अभी शहर में कैब चालक लोगों से मनमाना किराया वसूल रहे हैं। लोग ऐप से कैब-बाइक बुक कर रहे हैं। कैब-बाइक ड्राइवर बुकिंग को स्वीकार कर यात्री की लोकेशन पर पहुंच भी रहे हैं, लेकिन वहां पहुंचकर ऐप में बताए गए किराए पर यात्री को ले जाने से इनकार कर रहे हैं। इसके बाद वे यात्रियों पर अधिक किराए का दबाव बना रहे हैं। मजबूरीवश यात्री भी अधिक किराया देने को सहमत हो रहे हैं। वे उस बुकिंग को कैंसिल कर अधिक किराए में लोगों को ले जा रहे हैं।
Published on:
07 Jul 2022 03:31 pm
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