
Calcium blockage in the heart, life saved by rota-tripsy technique
Rota-Tripsy Technique: हार्ट अटैक का दर्द झेल चुकी 55 वर्षीय निर्मला (परिवर्तित नाम) के लिए नई तकनीक वरदान साबित हुई। डॉक्टरों ने रोटाब्लेशन और आईवीएल तकनीक का एक साथ उपयोग कर मरीज के हृदय की नसों में जमें कठोर ब्लॉकेज को ठीक किया। डॉक्टर्स ने दो तकनीकों का एक साथ इस्तेमाल किया। सीके बिरला हॉस्पिटल के सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलोजिस्ट डॉ. सुनील बेनीवाल ने बताया कि मरीज जब हार्ट अटैक के बाद हॉस्पिटल आई तो उसकी दो नसों में ब्लॉकेज था। एक नस जिससे हार्ट अटैक हुआ था, उसकी तुरंत एंजियोप्लास्टी कर दी गई। मरीज को शुरुआती लाभ होने पर घर भेज दिया गया, लेकिन मरीज के हृदय की दूसरी नस में भी ब्लॉकेज था, जोकि हृदय की सबसे महत्वपूर्ण नस थी। उस ब्लॉकेज में जमा कैल्शियम को डॉक्टरों ने नई तकनीक से हटाया।
सामान्य एंजियोप्लास्टी नहीं थी संभव -
कैल्शियम के जमाव वाली नस में मरीज की सामान्य एंजियोप्लास्टी कर पाना संभव नहीं था। ऐसे में रोटाब्लेशन तकनीक से उनकी एंजियोप्लास्टी करने का निर्णय लिया। रोटाब्लेशन तकनीक में कैथेटर के मुहाने पर एक नैनो ड्रिल मशीन होती है। रोटाब्लेशन तकनीक से अंदरूनी कैल्शियम हट जाता है, परन्तु बाहरी दीवारों पर जमा हुआ कैल्शियम नहीं हट पाता।
डॉ. सुनील ने बताया कि ऐसे में कैल्सिफाइड ब्लॉकेज को साफ करने की दूसरी तकनीक इंट्रावैस्कुलर लिथोट्रिप्सी का इस्तेमाल किया। यह तकनीक आर्टरी में बाहरी कैल्शियम ब्लॉकेज को पूरी तरह साफ कर देती है। रोटाब्लेशन और इंट्रावैस्कुलर लिथोट्रिप्सी का उपयोग एक साथ किया गया, इसीलिए इसे रोटा-ट्रिप्सी तकनीक कहा जाता है। इस तकनीक का उपयोग बहुत ही कम बार किया गया है। इन दोनों तकनीकों का इस्तेमाल करके मरीज की सेफ स्टेंटिंग की गई और उन्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
Published on:
30 Dec 2021 06:53 pm
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