आयुर्वेद का सहारा लेने वाले कैंसर मरीजों में पांच वर्ष में करीब तीन गुना तक इजाफा हुआ है।
रेडियो और कीमो थैरेपी के दुष्प्रभावों से बचने के लिए कैंसर मरीज आयुर्वेद में जीवन की गुणवत्ता तलाश रहे हैं। राजधानी के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआइए) सहित देश के अग्रणी आयुर्वेद संस्थानों में थैरेपी के दुष्प्रभावों से बचने के लिए आयुर्वेद का सहारा लेने वाले मरीजों में पांच वर्ष में करीब तीन गुना तक इजाफा हुआ है। पोस्ट कीमो और रेडिएशन के बाद होने वाले दुष्प्रभावों को कम करने के लिहाज से यह महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है।
एनआइए जयपुर के शल्य तंत्र विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार आउटडोर में हर माह कैंसर के 50 नए मरीज आ रहे हैं। इनमें ब्रेस्ट कैंसर के करीब 10 मरीज हैं। हर सप्ताह दो से तीन मरीजों की सर्जरी की जा रही है। इलाज में आयुर्वेद दवाओं के साथ आहार-विहार, योग, पंचकर्म और मेडिटेशन पर जोर दिया जा रहा है।
वर्ष 2018 से आयुर्वेद अस्पताल में विशेष कैंसर कंसल्टेशन यूनिट संचालित हो रही है। यह यूनिट गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को संचालित होती है। अब तक 2,000 से अधिक मरीज यहां इलाज करवा चुके हैं। इस यूनिट में विशेष प्रोटोकॉल के तहत मरीजों का इलाज किया जाता है।
आयुर्वेद संस्थान में हर माह 50 और एक साल में 500 से अधिक कैंसर के नए मरीज आते हैं। इनमें सबसे अधिक ब्रेस्ट कैंसर के हैं। हर महीने दो से तीन मरीजों की सर्जरी की जाती है।
-प्रो. पी हेमंत कुमार, विभागाध्यक्ष, शल्य तंत्र विभाग, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान
रेडियो-कीमो थैरेपी के दुष्प्रभावों से बचने के लिए मरीज आ रहे हैं। आयुर्वेद संस्थान के अलावा अन्य आयुर्वेद विशेषज्ञों के पास भी ऐसे मरीज आ रहे हैं।
-डॉ.रामावतार शर्मा, पूर्व उपनिदेशक, राजस्थान सरकार