
जयपुर। फिल्म ‘पद्मावती‘ के विरोध की आग बुझने का नाम नहीं ले रही है। विरोध के चलते फिल्म रीलिज भी नहीं हो पा रही है। ऐसे में सेंसर बोर्ड ने फिल्म ‘पद्मावती ’ देखने के लिए जयपुर के दो अनुभवी इतिहासकारों को आमंत्रित किया है और उनकी राय मांगी है। इन इतिहासकारों में प्रोफेसर बी.एल. गुप्ता और प्रोफेसर आर.एस. खांगरोत शामिल हैं।
गुप्ता राजस्थान विश्वविद्यालय में इतिहास के रिटायर्ड प्रोफेसर हैं जबकि खांगरोत अग्रवाल कॉलेज में प्रिंसिपल हैं। खांगरोत ने बताया कि 21 दिसंबर को सेंसर बोर्ड के चेयरमैन प्रसून जोशी का फोन आया था। लेकिन, साल के अंतिम सप्ताह का कार्यक्रम दुबई में तय होने के कारण मना किया। तो जोशी ने कहा कि नए साल में जानकारी देंगे। वहीं गुप्ता ने बताया कि करीब 15 दिन पहले जोशी का फोन आया था। उन्होंने फिल्म पर राय देने के लिए बुलाया था। मगर अभी तक दुबारा कोई फोन नहीं आया। दोनों इतिहासकारों ने कहा कि भले ही यह कलात्मक स्वतंत्रता है, लेकिन यह इतिहास की कीमत पर नहीं होनी चाहिए। सूत्रों के अनुसार, अगले महीने समीक्षा हो सकती है।
गौरतलब है कि संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' अपनी शूटिंग के समय से ही विवादों में है। करणी सेना व दूसरे समूह फिल्म का विरोध कर रहे हैं। इनका दावा है कि इसमें ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया है। जबकि भंसाली का कहना है कि ऐसा कुछ भी नहीं है। फिल्म 'पद्मावती' पहले एक दिसंबर को रिलीज होनी थी, जिसे टाल दिया गया है। हालांकि, इस बीच फिल्म को रिलीज करने की नई डेट की सुगबुगाहट है। अब देखते हैं कि फिल्म की नई रिलीज डेट क्या होती है।
फिल्म का राजस्थान सहित पूरे देश में लगातार विरोध जारी है। फिल्म के विरोध में राजपूतों, राजनेताओं और सामाजिक संगठनों के साथ राजस्थान के कई पूर्व राजघराने भी खुलकर सामने आ गए हैं। इन पूर्व राजघरानों का कहना है कि संजय लीला भंसाली को इतिहास की समझ नहीं है। भंसाली ने पूरे इतिहास को तोड़-मरोड़ कर फिल्म में दर्शाया है। जो वे कतई सहन नहीं करेंगे।
Published on:
29 Dec 2017 12:10 pm
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