बच्चों की बाहर खेलन की आदत होने से वे प्रकृति के बारे में काफी कुछ सीखते हैं। बाहर खुले वातावरण में खेलने से वह प्रकृति के करीब आते हंै, प्रकृति के महत्व को जानते हैं। बच्चों का मिट्टी में खेलने से प्रकृति के प्रति उनका जुड़ाव पैदा होता है। वे प्राकृतिक चीजों की अहमियत समझाते हैं और उनका सान्निध्य हासिल कर वे उसके प्रति सकारात्मक बनते हैं।
ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता सुजेन वांग के मुबाबिक, बचपन में बैक्टीरिया और वायरस रहित वातावरण आगे जाकर हाई ब्लड प्रेशर और उससे संबंधित कई बीमारियों का खतरा बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। इसलिए बचपन में बच्चों को खुले वातावरण और मिट्टी में खेलने देना चाहिए। मिट्टी से खेलने से बच्चों में बीमारियों से लडऩे और जूझाने का माद्दा पैदा होता है। उनकी सहन शक्ति बढ़ती है और वे छोटी-मोटी परेशानियों से आराम से पार पा जाते हैं। आप बच्चों को बाहर खुलकर खेलन दीजिए।
यह सच है कि बच्चों को मिट्टी में खेलने से खुशी मिलती है। मिट्टी में मौजूद माइक्रोस्कोपिक बैक्टीरिया मूड को बेहतर बनाते हैं। बच्चे मिट्टी में खेलने से खुश और रिलैक्स रहते है, साथ ही उनका मूड अच्छा होता है। मिट्टी की महक और मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्म कीटाणु बच्चे के मूड को ठीक करता है और उसे खुशी देता है। यही नहीं बच्चा जब दूसरे बच्चों के साथ मिट्टी में खेलता है तो वह ज्यादा बेहतर महसूस करता है और उनके तनाव का स्तर कम होता है। ऐसे में ग्रुप में बच्चों का खेलना अधिक फायदेमंद होता है।
पढऩे में आपको यह अटपटा लग सकता है लेकिन यह सच है कि मिट्टी में खेलने वाले बच्चे स्मार्ट बनते हैं। जमीन से जुड़ाव उनमें कई खूबियां पैदा करता है। मिट्टी में पाया जाने वाला बैक्टीरिया दिमाग को तेज करने में मदद करता है। इस तरह हम देखते हैं कि बच्चों को मिट्टी के संपर्क में लाना उनके लिए नुकसानदायक नहीं बल्कि उनको मजबूती प्रदान करता है। खुले में खेलने का मतलब यह नहीं है कि बच्चा गंदगी के संपर्क में आए। मिट्टी के संपर्क और गंदगी के संपर्क के अंतर को जरूर समझाना चाहिए।
यह भी सच है कि मिट्टी में खेलने से बच्चे की रचनात्मकता बढ़ती है। वह मिट्टी के साथ कई तरह के प्रयोग कर खुशी महसूस करता है। ऐसे में बच्चों में रचनात्मकता बढ़ाने के लिए मिट्टी और खुले वातावरण में खेलने देना चाहिए।