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विजयदशमी पर्व की महत्ता जानेंगे बाल गृह के मासूम,गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से होंगे कार्यक्रम

जयपुर में आज विजयदशमी पर्व की महत्ता जानेंगे बाल गृह के मासूम —गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से होंगे कार्यक्रम

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जयपुर

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Rajesh

Sep 30, 2017

Childrens living in juvenile home know the significance of the Vijayadashami festival

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजयदशमी पर्व आज हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आज रावण रूपी पुतले के रूप में लोग अपने अहंकार का दहन करेंगे। कई स्थानों पर आयुध पूजा होगी। शाम को अलग—अलग स्थानों पर रावण का पुतला दहन किया जाएगा। इसके बाद भरत मिलाप होगा। इस दिन शाम को शहर के विभिन्न हिस्सों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, आतिशबाजी एवं रावण—कुंभकरण के पुतले का दहन होगा। इस अवसर पर आकर्षक आतिशबाजी का भी आयोजन होगा। वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार की ओर से चलाए जा रहे सभी राजकीय बाल एवं सुधार गृहों में रहने वाले बच्चों को राम और रावण की कहानी और इस पर्व की महत्ता के बारे में बताया जाएगा।

आज विजयादशमी का पर्व पूरे हर्षोउल्लास के साथ मनाया जा रहा है। शाम को अलग—अलग स्थानों पर रावण का पुतला दहन किया जाएगा। इसके बाद भरत मिलाप होगा। वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार की ओर से चलाए जा रहे सभी राजकीय बाल एवं सुधार गृहों में रहने वाले बच्चों को राम और रावण की कहानी और इस पर्व की महत्ता के बारे में बताया जाएगा। इन गृहों में विभिन्न गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से राम कथा के बारे में बताया जाएगा। अलग—अलग किरदारों की भूमिका, युद्ध के कारण और अंत में बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व विजय दशमी मनाने की जानकारी दी जाएगी। इस मौके पर बच्चों को फल व मिठाई भी बांटी जाएगी। कुछ गृहों में एनजीओ के माध्यम से बच्चों से पेंटिग्स और पोस्टर भी बनवाए गए है। जिसमें बच्चों ने राम और रावण के चित्र बनाएं। इस पर उन्हें पेन, पेंसिल व अन्य वस्तुएं दी गई।

आपको बता दें कि लोकप्रिय आस्था के अनुसार, भगवान राम ने 10 दिनों तक अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए रावण से युद्ध किया जिसमें वह पराजित हुआ, रावण ने सीता का अपहरण किया था। भगवान राम की यह जीत बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान पूरे भारत में अलग-अलग जगहों पर रामलीला और नाटकों का आयोजन किया जाता है। दशहरे से नौ दिन पहले नवरात्रि का पर्व होता है जिसमें लोग देवी दुर्गा की पूजा कर उपवास करते हैं।