
प्रदेश में स्वाइन फ्लू से 217 मौत हो चुकी है और 2800 से ज्यादा लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके है। वहीं स्वास्थ्य विभाग लगातार दावा कर रहा है कि मिशिगन वायरस के उपचार के लिए आॅसेल्टामीवियर दवा ही कारगर है। जबकि जानकारों का मानना है कि नए वायरस के लिए पुराने वायरस की दवा से उपचार कितना कारगर है इस पर बढती मौत के बाद संशय होने लगा है। इस साल जब मई और जून में जब प्रदेश में स्वाइन फ्लू के मामलों की बाढ आने लगी तो स्वाइन फ्लू के बदले स्वरूप का पता चला। पुणे की लैब ने बताया कि अब स्वाइन फ्लू के केलिफोर्निया वायरस की जगह अब मिशिगन वायरस आ गया है। लेकिन इस बीमारी कें दी जाने वाली दवा अब भी आॅसेल्टामीवियर ही है।
स्वाइन फ्लू के उपचार में जुटे चिकित्सकों का कहना है कि स्वाइन फ्लू से मौत के बढ़ते मामलों को देखें तो कहीं न कहीं नए वायरस के मुताबिक दवा का नहीं होना भी एक कारण है। हांलाकि बाजार में अभी आॅसेल्टामिवियर की जगह स्वाइन फ्लू के नए वायरस के लिए कोई दवा उपल्ब्ध नहीं है।
उठने लगा है पुरानी दवा से भरोसा -
चूंकि स्वास्थ्य विभाग लगातार दावा करता रहा है कि स्वाइन फ्लू से बचाव के सभी इंतजाम किए जा रहे हैं और लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। विभाग लगातार यह भी दावा कर रहा है कि भले ही स्वाइन फ्लू के वायरस के डीएनए में बदलाव हुआ है लेकिन अभी भी आॅसेल्टामिवियर दवा कारगर है। मरीज इस दवा को लेकर पूरी तरह से ठीक हो रहे हैं और अब स्वाइन फ्लू के मामलों में कमी भी आई है।
अब तक 217 की मौत -
प्रदेश में स्वाइन फ्लू से अब तक 217 लोगों की मौत हो चुकी है और पॉजिटिव मरीजों का आंकडा 2800 के पार पहुंच गया है। वहीं प्रतिदिन प्रदेश में दो दर्जन से ज्यादा स्वाइन फ्लू के मरीज सामने आ रहे है। हालांकि बीते पांच दिनों में पॉजिटिव मरीजों की संख्या में कमी आई है लेकिन चिकित्सकों का कहना है है कि अब कुछ समय बाद सर्दी आने वाली है और गिरते तापमान में यह वायरस शक्तिशाली होता है या नहीं अभी यह सर्दी आने के बाद ही पता चलेगा। एसएमएस अस्पताल के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ रमन शर्मा ने बताया कि जो दवा स्वाइन फ्लू के उपचार में दी जा रही है वह पूरी तरह से कारगर है। यह दवा तब ही कारगर नहीं है जब मरीज को निमोनिया हो चुका हो। ऐसी स्थिति में दवा देरी से असर करती है।
Published on:
30 Sept 2017 12:40 pm
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