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बच्चों के खिलाफ हिंसा पर आयोगों का बड़ा संकेत

बच्चे को पीटकर मारने का मामला: मानवाधिकार आयोग व बाल आयोग ने लिया प्रसंज्ञान तथ्यात्मक रिपोर्ट तलब, सख्त सजा दिलाने की मंशा  

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School children safety

School children safety

जयपुर। चूरू जिले में निजी स्कूल में गृहकार्य नहीं करने पर बच्चे को पीट—पीटकर मारने के मामले में राज्य मानव अधिकार संरक्षण आयोग व राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रसंज्ञान लिया है। मानव अधिकार आयोग ने प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक तथा चूरू के कलक्टर व पुलिस अधीक्षक से एक सप्ताह में विस्तृत तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है, वहीं बाल आयोग ने ऐसे मामलों की पुनरावृति जारी करने का संकेत देते हुए चूरू पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट तलब की है।
मानव अधिकार आयोग अध्यक्ष गोपाल कृष्ण व्यास व बाल आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने गुरूवार को मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर प्रसंज्ञान लिया है। दोनों आयोगों ने बच्चे के खिलाफ हिंसा के इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ऐसे मामलों पर सख्ती दिखाने की मंशा जाहिर की है।
हर व्यक्ति को स्वतंत्र जीवन जीने का अधिकार
राज्य मानव अधिकार आयोग ने 25 अक्टूबर तक सुनवाई टालते हुए कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर व्यक्ति को स्वतंत्र जीवन जीने का अधिकार है। गृह कार्य नहीं करने पर बच्चे से मारपीट करना मानव अधिकारों का हनन की श्रेणी में आता है। आयोग ने प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक, चूरू कलक्टर व पुलिस अधीक्षक एक सप्ताह में यह बताने को कहा है कि क्या आरोपी शिक्षक पर कार्रवाई हुई और क्या स्कूल की मान्यता स्थायी तौर पर रद्द कर दी है, कितना स्टाफ और उसकी क्या—क्या योग्यता है। यह भी बताने को कहा है कि आरोपी शिक्षक पर कार्रवाई की या नहीं।
गाइडलाइन जारी करेंगे
बाल आयोग ने घटना को निंदनीय व गंभीर बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों की पुनरावृति रोकने के लिए गाइडलाइन जारी की जाएगी। ऐसी घटनाओं से बच्चों में भय पैदा होता है और उनके मानसिक विकास पर विपरीत प्रभाव होता है। आयोग अध्यक्ष ने चूरू पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट मांगते हुए कहा है कि इस मामले में दोषियों को सख्त सजा दिलाई जाएगी।