
व्यवस्थापकों और सहायक व्यवस्थापकों की स्क्रीनिंग पर लटकी आयु सीमा की तलवार
जयपुर।
सहकारिता विभाग ने प्रदेश की ग्राम सेवा सहकारी समितियों में कार्यरत व्यवस्थापकों और सहायक व्यवस्थापकों की स्क्रीनिंग के आदेश तो जारी कर दिए लेकिन स्क्रीनिंग प्रक्रिया में आयु सीमा की बाध्यता अब इन कार्मिकों के लिए ही परेशानी बन गई है। जिसके चलते हजारों कार्मिकों नियमितिकरण की प्रक्रिया से वंचित हो रहे हैं। ऐसे में अब इन कार्मिकों ने राजस्थान सहकारी संघ के बैनर तले आयु सीमा में शिथिलता देने की मांग की है।
यह है मामला
ग्राम सेवा सहकारी समितियों में 10 जुलाई, 2017 से पूर्व नियुक्त व्यवस्थापकों और सहायक व्यवस्थापकों की स्क्रीनिंग कर उनका नियमितिकरण किए जाने के लिए राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ के लगातार 4 माह चले संघर्ष किया। जिसके बाद सरकार ने इनकी सुध ली और सहकारिता विभाग की ओर से व्यवस्थापकों और सहायक व्यवस्थापकों की स्क्रीनिंग के जरिए नियमितिकरण की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए गए । इसके बाद विभाग के रजिस्ट्रार मुक्तानंद अग्रवाल ने स्क्रीनिंग के आदेश भी जारी कर दिए। यह आ रही समस्या
स्क्रीनिंग के आदेश तो विभाग ने जारी कर दिए लेकिन स्क्रीनिंग के लिए आयु सीमा 21 वर्ष से 33 वर्ष कर दी गई। जिससे 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर नियुक्त हुए प्रदेश के हजारों कार्मिक नियमितिकरण प्रक्रिया से वंचित हो रहे हैं। गौरतलब है कि राजस्थान सेवा नियम आरएसआर में इस प्रक्रिया में आयु सीमा 18 वर्ष से 40 वर्ष है लेकिन सहकारिता विभाग ने कार्मिकों की आयु सीमा21 से 33 साल कर दी जिसका नुकसान अब कार्मिकों को उठाना पड़ रहा है।
ऐसे में अब राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ संघ के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप जंगम ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना, प्रमुख शासन सचिव सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर और जिला कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन देकर स्क्रीनिंग द्वारा नियमितिकरण प्रक्रिया में आयु सीमा 18 वर्ष से 40 वर्ष किए जाने की मांग की है। जंगम का कहना है कि आयु सीमा की बाध्यता लगाने से कार्मिकों में रोष है।
Published on:
21 Sept 2022 02:32 pm
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