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Odisha Train Accident: ओडिशा ट्रेन हादसे में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग से छेड़छाड़ के संकेत

Odisha Train Accident: : कोरोमडंल रेल दुर्घटना का प्रथम दृष्टया कारण सामने आ गया है। रेलवे की प्राथमिक जांच में इंटरलॉक और सिग्नल सिस्टम के फेल होने का कारण माना जा रहा है।

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Odisha Train Accident : कोरोमडंल रेल दुर्घटना का प्रथम दृष्टया कारण सामने आ गया है। रेलवे की प्राथमिक जांच में इंटरलॉक और सिग्नल सिस्टम के फेल होने का कारण माना जा रहा है। पांच रेल अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 12841 कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन को पहले अपलाइन सिग्नल दे दिया गया फिर वापस ले लिया गया। इसी दौरान यह अप लाइन पर जाने के बजाय लूपलाइन पर जाकर खड़ी मालगाड़ी पर चढ़ गई। इसके 21 कोच पटरी से उतर गए। प्वाइंट 17 ए लूपलाइन के लिए सेट पाया गया। इसी समय 12864 बंगलूरू-हावड़ा सुपरफास्ट ट्रेन यहां के तीसरी लाइन गुजर रही थी और इसके अंतिम तीन कोच से कोरोमंडल एक्सप्रेस के कोच से आकर टकरा गए। सबसे बड़ी बात यह है कि जांच में यह पाया गया है कि अपलाइन के सभी प्वाइंट सामान्य स्थिति में पाए गए। कोई भी प्वाइंट डैमेज नहीं हुआ था। सिग्नल अपलाइन का था लेकिन रेलवे पटरी की इंटरलाकिंग लूप लाइन पर थी और मानिटर पर इंटरलाकिंग अपलाइन के लिए ही दिखा रहा था। यही दुर्घटना का कारण बन गया।

7 फरवरी को भी हुई थी ऐसी ही गड़बड़ी

7 फरवरी 2023 को भी हुबहू हुई थी ऐसी घटना हुई थी लेकिन रेलवे ने इससे शायद सीख नहीं ली। दक्षिण पश्चिम रेलवे में इसी तरह की घटना होशदुर्गा स्टेशन के पास हुई थी लेकिन चालक की सतर्कता की वजह से यह घटना दुर्घटना में तब्दील होने से बच गई। 19649 संपर्क क्रांति एक्सप्रेस को भी इसी तरह से 7 फरवरी 2023 को सिग्नल मिला था लेकिन चालक ने भांप लिया कि सिग्नल तो मिला है लेकिन ट्रेन प्वाइंट नंबर 65 ए से लूप लाइन में जा रही है और फिर तत्काल रोक दिया। तत्कालीन पीसीओएम हरिशंकर वर्मा ने इसकी पूरी जांच करके इंटरलाकिंग और सिग्नल सिस्टम को सही करने का निर्देश जारी किया था। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अगर इस गलती पर ध्यान देकर सही करने का प्रयास किया होता तो आज चार महीने बाद यह दिन नहीं देखना पड़ता।

23 सेकेंड में 128 से शून्य हुई गति

कोरोमंडल एक्सप्रेस जिस समय लूप लाइन पर जाकर मालगाड़ी से टकराई उस समय ट्रेन की गति 128 किलोमीटर प्रति घंटा था जब कि लूप लाइन पर किसी ट्रेन की गति 30 से 40 किलोमीटर प्रतिघंटा निर्धारित की गई है। यही वजह है कि ट्रेन का इंजन अपनी पूरी गति मालगाड़ी पर चढ़ गया। यह ट्रेन 6.55 बजे 128 किलोमीटर की गति से चली थी और 23 सेकेंड बाद ही इसकी गति शून्य हो गई। इसके मायने यह है कि ट्रेन के पायलट ने आपातकालीन ब्रेक सिस्टम का इस्तेमाल किया था।

बाहरी हस्तक्षेप की संभावना से इनकार

रेलवे के टॉप अधिकारियों ने बताया कि 'प्वाइंट मशीन' और इंटरलॉकिंग प्रणाली 'गलती रहित' और 'विफलता में भी सुरक्षित (फेल सेफ) है। अधिकरियों ने किसी भी बाहरी हस्तक्षेप या साजिश की संभावना से इनकार नहीं किया।

इस मार्ग पर नहीं है कवच

ट्रेनों में लगाया गया सुरक्षा प्रणाली कवच ट्रेन की आमने-सामने की भिड़ंत को रोकने का काम करता है। यह सिस्टम साइड कोजिनन के लिए तैयार नहीं किया गया है। रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया कि इस रूट पर कवच का सिस्टम अभी काम नहीं कर रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस रूट पर कवच नहीं होने पर सवाल उठाया है।