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Inspiration : 18 साल की उम्र तक पढ़-लिख नहीं पाते थे, अब Cambridge University में Professor

11 साल की उम्र तक बोल भी नहीं पाते थे। 3 साल के थे तब पता चला ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर का। कैंब्रिज के अब तक के सबसे कम उम्र के अश्वेत प्रोफेसर।

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जयपुर

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Aryan Sharma

Mar 01, 2023

Inspiration : 18 साल की उम्र तक पढ़-लिख नहीं पाते थे, अब Cambridge University में Professor

Inspiration : 18 साल की उम्र तक पढ़-लिख नहीं पाते थे, अब Cambridge University में Professor

लंदन. अगर दिल से चाहो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। इस बात को जेसन आर्डे (Jason Arday) ने सच कर दिखाया है। जेसन वह शख्स हैं, जो 11 साल की उम्र तक बोल भी नहीं पाते थे। 18 साल की उम्र तक उनका भाषाई ज्ञान शून्य था। वह पढ़ या लिख नहीं सकते थे। लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, जमकर पढ़ाई की। अब 37 साल की उम्र में उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज (University of Cambridge) में प्रोफेसर नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही वह इस यूनिवर्सिटी में सबसे युवा अश्वेत प्रोफेसर भी बन गए हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज में समाजशास्त्र (Sociology) के प्रोफेसर के रूप में छह मार्च को उनका पहला दिन होगा।
जेसन का जन्म और पालन-पोषण साउथवेस्ट लंदन के क्लैफम (Clapham) में हुआ। जेसन को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी। जब जेसन तीन साल के थे तब उन्हें ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर का पता चला था। इसकी वजह से शुरुआत में उनका सही से शारीरिक विकास भी नहीं हो पाया। मेंटर और दोस्त सैंड्रो सांद्री की मदद से उन्होंने किशोरावस्था में पढ़ना और लिखना शुरू किया था।

मां के बेडरूम की दीवार पर लिखते थे लक्ष्य
आठ साल पहले जेसन को कहा गया था कि उन्हें एक विशेष फैसिलिटी में रहने की जरूरत पड़ेगी, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। जेसन अपने जीवन के लक्ष्यों को अपनी मां के बेडरूम की दीवार पर लिखा करते थे। उनमें से एक यह था कि वह 'ऑक्सफोर्ड या कैंब्रिज में काम करना चाहते हैं।'

दो मास्टर डिग्री...
जेसन ने यूनिवर्सिटी ऑफ सरे से फिजिकल एजुकेशन एंड एजुकेशन स्टडीज में डिग्री हासिल की। जेसन ने शुरुआत में बोल पाने की क्षमता न होने के बावजूद दो मास्टर डिग्री हासिल करने में सफलता पाई। इतना ही नहीं, उन्होंने 2016 में लिवरपूल जॉन मूर्स यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। 2018 में उन्होंने अपना पहला पेपर प्रकाशित किया। यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो स्कूल ऑफ एजुकेशन में नौकरी हासिल करने के बाद वे पूरे यूके में सबसे कम उम्र के प्रोफेसर बन गए।

कभी नहीं सोचा था ऐसा भी हो सकता है
प्रोफेसर बनने को लेकर उन्होंने कहा, 'भले ही मैं बहुत आशावादी हूं, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा भी कुछ हो सकता है। ये सच में हैरान कर देने वाला है।' उन्होंने बताया कि जब उन्होंने एकेडमिक पेपर लिखना शुरू किया, तो उन्हें बिल्कुल भी आइडिया नहीं था कि वह क्या कर रहे हैं। भविष्य के लक्ष्यों के बारे में जेसन ने कहा, 'मेरा काम मुख्य रूप से इस बात पर केंद्रित है कि कैसे हम वंचित पृष्ठभूमि के अधिक लोगों के लिए दरवाजे खोल सकते हैं। उम्मीद है कि कैम्ब्रिज जैसी जगह में होने से मुझे लाभ मिलेगा।'