
जयपुर। करीब एक दशक पहले राजस्थान में साइबर अपराध की रोकथाम के लिए एक विशेष थाना खोला गया था, लेकिन तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराध पर लगाम नहीं लगी तो प्रदेश के हर जिले में साइबर थाने खोल दिए गए। यहां तक की साइबर डीजी का पद भी स्वीकृत कर दिया गया। लेकिन पकड़े जाने वाले साइबर अपराधियों को जल्द सजा मिल सके, इसके लिए विशेष कोर्ट ही नहीं है, जबकि भ्रष्टाचार, एसीबी और पॉक्सो जैसे कानून में दर्ज अपराधों के लिए अलग से कोर्ट है। ऐसे ही एससी-एसटी एक्ट और महिला उत्पीडऩ संबंधित मामलों की अलग से कोर्ट है।
यह है स्थिति
राजधानी जयपुर में एसओजी व जयपुर कमिश्नरेट में अलग-अलग साइबर थाने हैं। जबकि जयपुर कमिश्नरेट के चारों जिलों में साइबर अपराध की रोक थाम के लिए चार विंग भी है, लेकिन साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए विशेष कोर्ट नहीं है।
साइबर अपराध के लिए विशेष कोर्ट होनी चाहिए और साथ में फास्ट ट्रैक सुनवाई होनी चाहिए। साइबर थाने हर जिले में खोल दिए गए हैं। पुलिस को भी अनुसंधान में तेजी लानी होगी। पुलिस के सिलेबस में बदलाव करना होगा। साइबर अपराध में भी नई-नई तकनीक सामने आ रही हैं। इसके कारण पुलिस को भविष्य को देखते हुए खुद तैयार करना होगा। पुलिसकर्मियों को साइबर एक्सपर्ट से लगातार प्रशिक्षित करवाना जरूरी है।
Published on:
30 May 2023 01:09 pm
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