
'हू इज भारत माता: एन आइडिया ऑफ इंडिया' के हवाले से भारत की संकल्पना और चुनौतियों पर चर्चा
जयपुर। राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर के मिनी ऑडिटोरियम में शनिवार शाम को नेहरू और उनकी फिलॉसफी पर चर्चा हुई। यूपीएससी के पूर्व सदस्य और लेखक-साहित्यकार प्रो. पुरुषोत्तम अग्रवाल ने अपनी किताब 'हू इज भारत माता: एन आइडिया ऑफ इंडिया' के हवाले से वर्तमान भारत की संकल्पना और उसकी समस्या एवं चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, 'भारत माता की जय का नारा स्वाधीनता संग्राम के दौरान पॉपुलर एम्पावरमेंट के नारे के तौर पर देखा गया। किताब लिखने का कारण यह था कि बीते कुछ वर्षों में गांधी और नेहरू के खिलाफ एक तरह का हेट कैम्पेन चलाया गया है। उनके बारे में यह धारणा बनाने का प्रयास किया जा रहा है कि नेहरू के मन में भारतीय संस्कृति खासकर हिंदू परम्परा के प्रति एक उपेक्षा बल्कि अपमान का भाव था। नेहरू के साथ एक और बेतुकी बात चिपका दी गई है, जिसका चार साल पहले तक किसी ने प्रतिवाद तक नहीं किया। उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि 'आई एम ए मुस्लिम बाय कल्चर, इंग्लिशमैन बाय एज्यूकेशन एंड ए हिंदू मीयरली बाय एक्सिडेंटली। एम.जे. अकबर ने अपनी एक किताब में इस बात का खुलासा किया है कि यह वाक्य दरअसल हिंदू महासभा के एम.के. खरे नाम के नेता का गढ़ा हुआ था। लेकिन किसी ने भी इस बात का विरोध नहीं किया।'
नेहरू को भारतीय समाज की गहरी समझ थी
प्रो. अग्रवाल ने नेहरू के बारे में बात करते हुए कहा, 'आजकल के युवाओं को तो पता तक नहीं होगा कि नासदीय सूक्त किस चिडिय़ा का नाम है। उन्होंने डिस्कवरी ऑफ इंडिया में पूरा वर्णित किया है। इतना ही नहीं, उन्होंने भगवान बुद्ध की सम्यक की अवधारणा, जिन परम्परा की सप्तभंगी न्याय और भारतीय संस्कृति, समाज की बहुत गहरी समझ थी। भारत माता की जय की संकल्पना आज वो लोग भी कहते हैं, जिन्हें समावेशी और लोकतांत्रिक संकल्पना को उचित नहीं मानते। इसलिए यह जानना बहुत जरूरी है कि हम यह जानें कि कौन है भारत माता? तय यह है कि भारत जब आजाद हुआ तो दो सौ साल के उपनिवेशवाद के शोषण से टूटा हुआ भारत था। इंग्लैंड में वेलफेयर स्टेट की स्थापना ही कोलोनियल लूट पर हुआ जिसका सबसे बड़ा हिस्सा भारत की लूट से आया था।
बंगाल में दुनिया के सबसे बड़े मैन मेड ब्रिटिश साम्राज्यवाद की देन था, जिसमें 20 लाख लोग मारे गए थे। देश की आजादी विभाजन के साथ आई थी। अमेरिकन पत्रकार और इतिहासकार माइक उेविस ने अपनी किताब 'विक्टोरियन होलोकास्ट' में उपनिवेशवाद में हुए अकालों पर लिखा है। उनका कहना है कि 1875 से 1900 के दौरान भारतीय उप-महाद्वीप की आबादी का 10 फीसदी हिस्सा अकाल की बलि चढ़ गया। नॉन अलाइनमेंट की थ्योरी और मिक्स्ड पॉलिसी के चलते ही आज हम यूक्रेन, रूस और अमरीका के साथ दोसताना संबंध बना हुए हैं, जिसके लिए उनकी सबसे ज्यादा आलोचना की जाती है। 1947 में एवरेज लाइफ एक्सपेंटेसी 31 साल थी, जो 1964 तक बढ़कर 48 वर्ष हो गइ्र। दुनिया के किसी भी देश में ऐसी आर्थिक चुनौतियों, सामरिक समस्याओं और आंतरिक कलहों के बावजूद जीवन प्रत्याशा बढ़ जाए।
Published on:
06 Aug 2023 12:20 am
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