
चौथी बार दिल की सर्जरी कर महिला दिया नया जीवन
जयपुर
सामान्यतौर पर हार्ट की सर्जरी एक बार करना ही काफी मुश्किलभरी होती है। लेकिन चिकित्सकों ने एक महिला का दिल एक नहीं बल्कि चौथी बार खोला। शहर के एक निजी अस्पताल के चिकित्सकों ने यह कामयाबी हासिल करते हुए इस महिला की चौथी बार हार्ट सर्जरी करके उसे नया जीवन दिया।
यह महिला माइट्रल वॉल्व स्टेनोसिस से पीड़ित थी।
दअरसल, जयपुर के फागी तहसील की 40 वर्षीय प्रेम देवी माइट्रल वॉल्व स्टेनोसिस बीमारी से पीड़ित थीं। इस बीमारी के कारण मरीज के हार्ट में माइट्रल वॉल्व का प्रवेश द्वार संकुचित हो जाता है। इस कारण शरीर में रक्त प्रवाह में बाधा आती है। इससे निजात पाने के लिए इस महिला की अलग-अलग सेंटर्स पर उनकी तीन बार वॉल्व सर्जरी की गई।
पहली बार में वॉल्व के प्रवेश द्वार को चौड़ा किया गया और बाकी दो बार उनका वॉल्व मैकेनिकल वॉल्व से बदल दिया गया। लेकिन इसके बावजूद महिला के वॉल्व में रक्त का थक्का जमने से फिर से उसकी हार्ट सर्जरी करनी पड़ गई। वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डॉ. सीपी श्रीवास्तव ने बताया कि अगर महिला का समय पर इलाज नहीं किया जाता तो उसकी जान को खतरा था।
वॉल्व बदल दिया नया जीवन
इस महिला की जांच में माइट्रल वॉल्व में एक क्लॉट मिला। इस कारण महिला को सांस लेने में दिक्कत और हांफनी की समस्या हो रही थी। इसके बाद चिकित्सकों की टीम ने प्रभावित वॉल्व की जगह पर वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी की। चौथी बार की इस सर्जरी में महिला का वॉल्व बदला गया। टीम में ऐनेस्थिसिया विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप गोयल, कार्डियक सर्जन डॉ. सुनील शर्मा, डॉ. अभिनव सिंह, डॉ. अमित शरण भी शामिल रहे।
बहुत मुश्किल थी सर्जरी
सुरक्षित रूप से छाती को खोलकर री-डू सर्जरी करने के लिए बहुत ज्यादा अनुभव की जरूरत होती है। क्योंकि री-डू सर्जरी में ह्रदय, छाती की दीवार और फेफड़ों के बीच चिपका हुआ मिलता है। पहले की गई सर्जरी के कारण टांकों के आसपास भी काफी टिश्यू बढ़े हुए होते हैं। ऐसे में एक सर्जन को छाती में सुरक्षित रूप से प्रवेश करने और दिल के अन्य हिस्सों को नुकसान पहुंचाए बिना प्रभावित क्षेत्र की सर्जरी करने के लिए काफी अनुभव और कुशलता की जरूरत होती है।
Published on:
24 Jul 2018 07:32 pm
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