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विधायक नरपत सिंह राजवी की चिठ्ठी से कुलपति को खलबली, पंहुचे मिलने, क्या था आखिर चिठ्ठी में ?

विधायक नरपत सिंह राजवी ने एक चिठ्ठी क्या लिखी, डॉ. भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. देवस्वरूप ने गुरुवार को उनसे मिलने पंहुच गए और उनके समक्ष अपना पक्ष रखा। दरअसल दरअसल राजवी ने राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र को एक पत्र लिखा था जिसमें लॉ विवि से संबंधित कुछ शिकायतें कर उसकी जांच की मांग की गई थी।

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जयपुर

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Rakhi Hajela

Oct 06, 2022

विधायक नरपत सिंह राजवी की चिठ्ठी से कुलपति को खलबली, पंहुचे मिलने, क्या था आखिर चिठ्ठी में ?

विधायक नरपत सिंह राजवी की चिठ्ठी से कुलपति को खलबली, पंहुचे मिलने, क्या था आखिर चिठ्ठी में ?

विधायक नरपत सिंह राजवी की चिठ्ठी से कुलपति को खलबली, पंहुचे मिलने, क्या था आखिर चिठ्ठी में

जयपुर।
विधायक नरपत सिंह राजवी ने एक चिठ्ठी क्या लिखी, डॉ. भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. देवस्वरूप ने गुरुवार को उनसे मिलने पंहुच गए और उनके समक्ष अपना पक्ष रखा। दरअसल दरअसल राजवी ने राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र को एक पत्र लिखा था जिसमें लॉ विवि से संबंधित कुछ शिकायतें कर उसकी जांच की मांग की गई थी।
यह की गई थी शिकायत
राजवी ने पत्र में लिखा था कि डॉ. भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय जयपुर में चल रही भर्ती प्रक्रिया के संबंध में अनेक अभ्यर्थियों ने व्यक्तिगत रूप से जानकारी दी है कि विश्वविद्यालय में विभिन्न शैक्षणिक और अशैक्षणिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी कर गुपचुप तरीके से अपने लोगों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. देवस्वरूप की नियुक्ति पर ही विवाद है, जिसकी वैधानिकता राजस्थान हाई कोर्ट में विचाराधीन है। जिस व्यक्ति की स्वयं की नियुक्ति ही संशय में हो तो वह अन्य की नियुक्ति नियमानुसार पारदर्शी कैसे कर सकता ह? विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट और एकेडमिक कौंसिल से बिना अपूर्व किए ही भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया है जो असंवैधानिक है। विश्वविद्यालय ने किस एजेंसी से परीक्षा करवाई, एजेंसी से रिजल्ट बनने के बावजूद भी परिणाम विश्वविद्यालय द्वारा जारी करना सवाल खड़े करता है। डॉ.देवस्वरूप द्वारा राजस्थान विश्वविद्यालय में बतौर कलपति की गई भर्तियों पर व्यापक विवाद हुआ था, जिसके बाद इन्हें इस्तीफा भी देना पड़ा था। ऐसे में उनके द्वारा की जा रही भर्ती प्रक्रिया निश्चित ही सवालों के घेरे में है।उनका कार्यकाल फरवरी 2023 में पूरा हो रहा है। ऐसे में उनके द्वारा भर्तियों को लेकर की जा रही जल्दबाजी विश्वविद्यालय और राज्य के हित में नहीं है।