रसगुल्ले : टेस्ट ऑफ बीकानेर
जयपुरPublished: Jun 25, 2015 03:18:00 pm
बीकानेर शहर की देश और दुनिया में पहचान अन्य चीजों के अलावा रसगुल्ले,
भुजिया और पापड़ के कारण भी है। बीकानेर में रसगुल्ला, भुजिया-पापड़ समेत
एग्रो फूड प्रोसेसिंग की छह सौ इकाइयां है। इन उद्योग पर 500 करोड़ का
पूंजी निवेश है। बीकानेर के करीब 60 हजार लोग इस उद्यम से
प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार पा रहे हैं। पश्चिमी राजस्थान का बीकानेर
क्षेत्र पशुधन बहुल क्षेत्र है। इस इलाके में दूध का खाद्य प्रसंस्करण के
रूप में उपयोग करने के लिए रसगुल्ले उद्योग चालू हुआ। छने की मिठाई के रूप
में देश-दुनिया में बीकानेर के रसगुल्ले को चाव से खाया जाता है।
दूध का नीबू के रस से ‘फाड़करÓ छेना बनाया जाता है। जो शुध्द प्रोटीन होता है। रसगुल्ला सुपाच्य और शक्तिवध्र्दक होता है।
बीकानेर शहर की देश और दुनिया में पहचान अन्य चीजों के अलावा रसगुल्ले, भुजिया और पापड़ के कारण भी है। बीकानेर में रसगुल्ला, भुजिया-पापड़ समेत एग्रो फूड प्रोसेसिंग की छह सौ इकाइयां है।
इन उद्योग पर 500 करोड़ का पूंजी निवेश है। बीकानेर के करीब 60 हजार लोग इस उद्यम से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार पा रहे हैं। पश्चिमी राजस्थान का बीकानेर क्षेत्र पशुधन बहुल क्षेत्र है।
इस इलाके में दूध का खाद्य प्रसंस्करण के रूप में उपयोग करने के लिए रसगुल्ले उद्योग चालू हुआ। छने की मिठाई के रूप में देश-दुनिया में बीकानेर के रसगुल्ले को चाव से खाया जाता है।
दूध का नीबू के रस से ‘फाड़करÓ छेना बनाया जाता है। जो शुध्द प्रोटीन होता है। रसगुल्ला सुपाच्य और शक्तिवध्र्दक होता है।
शारीरिक रूप से कमजोर बीमार को प्रोटीन की पूर्ति के लिए डाक्टर रसगुल्ला खाने की भी सलाह देते हैं। रसगुल्ला ऐसी मिठाई है जो निचोडऩे से बिना चीनी की हो जाती है।
शुगर के बीमार भी रसगुल्ला निचोड़ कर सादे पानी में डुबोकर खा सकते हैं। पानी में डालने से यह मिठाई बिना चीनी की हो जाती है।
रसगुल्ले के पैक डिब्बे देश के अन्य राज्य में बीकानेर रसगुल्ले के नाम से चलते हैं। वहीं विदेशों में भी बीकानेरी रसगुल्ले की मांग है।