22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पृथ्वी के सुरक्षा कवच Ozone का छेद अब सिकुड़ने की ओर, UN ने की पुष्टि

राहत की खबर : परत चार दशक में पूरी तरह ठीक होने के आसार

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

Aryan Sharma

Jan 12, 2023

पृथ्वी के सुरक्षा कवच ओजोन का छेद अब सिकुड़ने की ओर, संयुक्त राष्ट्र ने की पुष्टि

पृथ्वी के सुरक्षा कवच ओजोन का छेद अब सिकुड़ने की ओर, संयुक्त राष्ट्र ने की पुष्टि

वॉशिंगटन. धरती पर रहने वालों के लिए पर्यावरण के बारे में राहत की खबर है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने पुष्टि की है कि पृथ्वी के सुरक्षा कवच ओजोन की परत का छेद अब सिकुड़ रहा है। यह छेद 1980 के दशक से चिंता का विषय बना हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, ओजोन परत चार दशक के भीतर पूरी तरह ठीक होने की राह पर है। रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी गई कि ग्लोबल वॉर्मिंग को बढ़ाने वाली मानवीय गतिविधियां इस सुधार पर प्रतिकूल असर डाल सकती हैं। पृथ्वी के वायुमंडल की इस परत में गैस की सघनता अपेक्षाकृत ज्यादा होती है।
सामूहिक वैश्विक प्रयासों के बावजूद ओजोन का छेद धीरे-धीरे बड़ा हो रहा था। सितंबर 2006 में अंटार्कटिक के ऊपर ओजोन परत में अब तक का सबसे बड़ा छेद देखा गया था। हालांंकि जून 2016 में अमरीका और ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने साइंस मैगजीन में लिखा था कि अंटार्कटिका पर छेद कम हो रहा है। उन्हें उम्मीद है कि 2050 तक यह पूरी तरह ठीक हो जाएगा। भारत 1993 से ओजोन विघटनकारी पदार्थों को धीरे-धीरे बाहर करने में जुटा है।

पृथ्वी की छतरी
ओजोन परत से ही धरती पर जीवन संभव है। यह परत सूर्य की उच्च आवृत्ति की पराबैंगनी किरणों को 90-99 फीसदी तक अवशोषित कर लेती है। ये किरणें पृथ्वी के लिए हानिकारक हैं। जिस तरह लोग शरीर को सूरज की तेज रोशनी से बचाने के लिए शरीर पर सनस्क्रीन लगाते हैं, वैसे ही ओजोन परत पृथ्वी को घातक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती है।

शोध ने किया था छेद का खुलासा
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के दो शोधकर्ताओं मारियो मोलिना और शेरवुड रॉलैंड के शोध में इस छेद के बारे में पता चला था। उनका कहना था कि क्लोरो फ्लोरो कार्बन (सीएफसी) गैस, जिसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर रेफ्रिजेरेशन के लिए किया जाता है, ओजोन परत को कम कर रही है। दोनों शोधकर्ताओं को इस शोध के लिए 1995 में रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार मिला था।