विशेषज्ञों की मानें तो 25 डिग्री पारा सौर उत्पादन के लिए सबसे अधिक उपयुक्त तापमान है। इस तापमान में सौलर प्लेट्स अपना शत प्रतिशत उत्पादन देती हैं, लेकिन इससे कम तापमान और इससे अधिक तापमान में सोलर प्लेट्स शत प्रतिशत उत्पादन नहीं दे पाती हैं। ऐसे में वर्तमान में 45 डिग्री के तापमान में तो उत्पादन में आठ से दस प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है।
इन बीस दिनों में ही भड़ला में लगे 2200 मेगावाट प्लांट से 2.81 करोड़ यूनिट बिजली कम पैदा हुई है। जैसलमेर के लाठी क्षेत्र में भी सौर प्लांट स्थापित है, जिसमें भी बिजली उत्पादन में दस प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
इसलिए आ रही दिक्कत विशेषज्ञों के अनुसार 25 डिग्री तापमान स्टैण्डर्ड मापदण्ड माना जाता है और इसी अनुरूप प्लेट्स निर्माण के दौरान मेटेरियल उपयोग किया जाता है। उत्पादन में सालभर गिरावट न आए इसके लिए तापमान का स्टैण्डर्ड तय होता है।
चार महीने रहेगी गिरावट विशेषज्ञों की मानें तो पश्चिमी राजस्थान में अप्रेल से जुलाई तक भीषण गर्मी का दौर चलता है। इन चार महीनों में तापमान सामान्य से अधिक रहता है। इस कारण अप्रेल से जुलाई तक सौर ऊर्जा की उत्पादन क्षमता प्रभावित रहती है।
सैलर प्लेट्स के 25 डिग्री के तापमान पर बिजली उत्पादन शत प्रतिशत उत्पादन क्षमता का मापदण्ड तय है। फलोदी क्षेत्र में इन दिनों 45 डिग्री का तापमान चल रहा है। इस कारण उत्पादन क्षमता बहुत अधिक प्रभावित हो रही है।
– रवि थानवी, रीजनल हेड, अडाणी सोलर ग्रुप फैक्ट फाइल